
Why Snapdeal failed_Snapdeal: आज के आधुनिक समाज ने तकनीकी और आर्थिक रूप से विकास के नए आयाम गढ़े हैं। इंटरनेट के बढ़ते चलन से Online shopping को जबरदस्त बल मिला है। ग्राहकों की इस मांग के परिणामस्वरूप ही ई-कॉमर्स कंपनियों ने मार्केट में एक से बढ़कर एक Online shopping Platform खड़े किए हैं। जैसे फ्लिपकार्ट, Amazon व Snapdeal जैसे प्लेटफॉर्म ने बहुत बड़े पैमाने पर ग्राहक वर्ग तैयार किए हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश की सबसे चर्चित ई-कामर्स प्लेटफॉर्म Snapdeal की मार्केट वैल्यू लगातार गिरने की खबरें आ रही हैं और ये काफी हद तक सत्य है।
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Why Snapdeal failed_Snapdeal? जाने मुख्य वजह
अस्थिर व खराब नीतियों की स्नैपडील के पतन में रही अहम् भूमिका:
आज के आलेख में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि 6.5 बिलियन डॉलर की कंपनी क्यों हो रही है खत्म? जिसे दो दोस्तों ने मिलकर किया था 2010 में स्टार्ट। जानते हैं Snapdeal की मार्केट वैल्यू में आ रही गिरावट के मुख्य कारणों को –
स्नैपडील की शुरुआत कैसे हुई?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि स्नैपडील की शुरुआत कैसे हुई? कुणाल बहल व रोहित बंसल नाम के दो दोस्तों ने 2010 में स्नैपडील की नींव रखी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस समय स्नैपडील मार्केट में आया उस समय भारत में उसका एकमात्र प्रतियोगी फ्लिपकार्ट था। स्नैपडील ने अपने गठन की शुरुआत से ही बड़े पैमाने पर सेलर्स और इन्वेस्टर्स को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। कंपनी की सफलता को देखते हुए उसे ज़बरदस्त फंडिंग मिलने लगी। इस तरह 6 साल में ही स्नैपडील भारत की दूसरी सबसे बड़ी ई-कामर्स कंपनी बनकर उभरा। इस दौरान इस कंपनी के इन्वेस्टर्स में रतन टाटा,ईबे, सॉफ्टबैंक व नेक्सस वेंचर जैसे नामचीन नाम थे। कंपनी का वैल्यूएशन 6.5 बिलियन डॉलर के आसपास आंका गया तथा कंपनी का तत्कालीन मार्केट शेयर 25% तक पहुंच गया। कंपनी के बढ़ते लाभ के कारण बड़ी संख्या में सेलर्स इससे जुड़ते गए। कंपनी की बेहतरीन पॉलिसी और अच्छे मैनेजमेंट के चलते सेलर्स को 7 दिन में ही पेमेंट मिल जाती थी जबकि दूसरी कंपनियां यही भुगतान 21 दिनों में करती थीं।
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6.5 बिलियन डॉलर के बिजनेस का आंकड़ा छूने वाली स्नैपडील का मार्केट 2016 से गिरना शुरू हो गया। अब 25% मार्केट शेयर वाली कंपनी का शेयर घटकर 4% पर आ गया। परिणामस्वरूप 2017 में कंपनी के बैंकरप्ट होने की नौबत आ गई थी। अब यहां यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर क्यों शुरू हुआ स्नैपडील का पतन? क्या कारण है कि इन्वेस्टर्स, सेलर्स और कस्टमर्स इससे दूर होते गए? यहां तक कि कंपनी के कर्मचारी भी कंपनी छोड़ने लगे।
यहां सबसे पहले कस्टमर्स की बात करते हैं क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियों में कस्टमर्स की भूमिका बहुत अहम् होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश यूजर्स की ये शिकायत आने लगी कि उन्हें आर्डर किए हुए प्रोडक्ट डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद प्राप्त हो रहे हैं, कस्टमर आर्डर कुछ और करते हैं और उन्हें डिलीवरी कुछ और सामान की कर दी जाती है। इसके पीछे सबसे मुख्य कारण कमजोर मैनेजमेंट का होना है जो सही तरीके से शिकायतों की इन्क्वायरी नहीं कर पा रहे थे परिणामस्वरूप लोगों ने अन्य दूसरे शॉपिंग प्लेटफॉर्म की ओर रुख करना शुरू कर दिया।
कस्टमर की तरह ही स्नैपडील के सेलर्स भी स्नैपडील के रवैए से तंग चुके थे। जहां पहले उन्हें ढेर सारे आर्डर्स मिलते थे और बढ़िया बिक्री होती थी, अब वो खत्म होती जा रही थी। कंपनी की ग़लत नीतियों की वजह से कभी कभी ऐसा होता कि सेलर्स के अकाउंट ब्लॉक कर दिए जाते और अनब्लाॅक करवाने के लिए कोई पर्याप्त अथारिटी ही नहीं मिलती।
अस्थिर व खराब नीतियों की स्नैपडील के पतन में रही अहम् भूमिका:
खराब लीडरशिप की स्नैपडील के फेल होने में बड़ी भूमिका रही, क्योंकि कंपनी के सभी निर्णय केवल दो CEO ही लेते थे। किसी भी तरह के नीति निर्माण में मैनेजमेंट के अनुभवी सदस्यों से कोई सलाह नहीं ली जाती थी। अस्थिर नीतियों की वजह से परेशान सेलर्स कंपनी छोड़ने को विवश हो गए तथा यही कारण रहा कि इन्वेस्टर्स व यूजर्स ने भी कंपनी से किनारा कर लिया और 6.5 Billion dollar की कंपनी खत्म होने की कगार पर आ पहुंची है।
निष्कर्ष: Why Snapdeal failed_Snapdeal !
उपरोक्त विश्लेषणात्मक आकलन में एक बात मुख्य रूप से स्पष्ट हुई कि किसी भी कंपनी को आगे ले जाने में उसके मजबूत मैनेजमेंट की भूमिका होती है। इसी तरह उसके पतन के लिए कमजोर मैनेजमेंट जिम्मेदार होता है। स्नैपडील का निरंतर हो रहा पतन इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।