zoho company: हर युवा का सपना होता है कि वह अपने करियर में वो मुकाम हासिल कर ले जिसका सपना वो हमेशा से देखता आया है। लेकिन सपने को साकार करने के लिए हकीकत में मेहनत करना होता है। सपने साकार होने का आनंद तब दोगुना हो जाता है जब ये मुकाम अपने लोगों के बीच जमीनी स्तर पर काम करके हासिल किया जाता है, विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों में जहां वो काम बहुत मुश्किल हो और लोगों की सहमति भी आशंका से भरी हो। लेकिन इस काम को अंजाम दिया तमिलनाडु के एक ऐसे शख्स ने जिसने एक छोटे से गांव व सामान्य से परिवार में में पल बढ़कर विदेश जाने तक का सफ़र तय किया किया। इनकी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा देखिए, अमेरिका में एक बेहतरीन जॉब व सेटल होने का अवसर त्याग कर अपने गांव में ZOHO नाम की सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी खोल दी।
दोस्तों आज के आलेख में हम आपको ZOHO कंपनी के मालिक और पद्मश्री से सम्मानित श्रीधर वेम्बू के सफलता की कहानी बताएंगे जिनकी कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 2,749 करोड़ रूपए का मुनाफा कमाया। जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले युवा को हमारा आलेख अंत तक पढ़ना एक बेहतरीन मार्गदर्शन साबित होगा।
करियर की शुरुआत कुछ इस तरह रही-
श्रीधर वेम्बू तमिलनाडु के एक गांव तेनकासी के रहने वाले हैं। बहुत सामान्य से मध्यमवर्गीय परिवार में में पले बढ़े वेम्बू की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। आगे चलकर इस मेधावी का चयन 1989 में IIT मद्रास के लिए हो गया। उसी दौरान PHD के लिए अमेरिका जाने का अवसर मिला तथा शोध कार्य खत्म होते ही वहां इनका एक अच्छा प्लेसमेंट भी हो गया। लेकिन ये उनका लक्ष्य नहीं था क्योंकि उनके मन में कुछ और ही था अतः दो वर्ष के बाद ही वेम्बू ने वहां की नौकरी छोड़ दी और स्वदेश वापस आ गए।
परिवार के लोगों को नहीं रास आया उनका ये फैसला पर अपने सपने को सच कर दिखाया इस मेधावी ने:
उनके इस फैसले पर परिवार व अन्य करीबी लोगों को बहुत अचरज हुआ क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वेम्बू अमेरिका की इतनी अच्छी नौकरी को छोड़कर भारत आ जाएंगे। सबने श्रीधर को समझाने का हर संभव प्रयास किया पर वो अपने निर्णय पर अटल रहे। क्योंकि उनके दिमाग़ में पहले से ही था कि उन्हें अपने देश में ही रहकर अपना खुद का काम करना है। इसके कुछ ही समय बाद लोगों की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए 1996 में अपने भाई के साथ एडवेंटनेट नाम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी की नींव रखी। आगे चलकर 2009 में अपनी इस कंपनी का नाम बदलकर ZOHO Carporation कर दिया। यही नहीं श्रीधर ने अपनी कंपनी का ऑफिस खोलने के लिए किसी बड़े शहर के स्थान पर तेनकासी गांव को ही चुना और आज यहां उनकी कंपनी का हाईटेक ऑफिस मौजूद है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ZOHO जैसी कंपनी का ऑफिस खुलने के बाद तेनकासी को जिले का दर्जा प्राप्त हो गया। दरअसल श्रीधर हमेशा से ये चाहते थे कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और भारत की सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में काम करें।
ZOHO Company: 39 हज़ार कड़ोर की कंपनी के मालिक:
एक रिपोर्ट के अनुसार जोहो कॉरपोरेशन का रेवेन्यू 39,000 करोड़ रूपए है। जब 2000 में डॉट- काम बबल फटने से बहुत सी कंपनियां दिवालिया हो गईं, उस दौरान भी जोहो मजबूती से टिका रहा क्योंकि उसके पास बैंक में नकदी थी, देनदारी के लिए कोई निवेशक नहीं था तथा कंपनी के अधिकांश कर्मचारी भारत में थे तो परिचालन लागत भी न के बराबर रही। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 2,749 करोड़ रूपए का लाभ अर्जित किया है। इस प्रकार जोहो इस वर्ष सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाली भारतीय इंटरनेट कंपनी बन चुकी है।
श्रीधर का मक़सद था कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चों को सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण मिले। इसी उद्देश्य से उन्होंने जोहो स्कूल की स्थापना की। यहां पर नॉन टेक्निकल छात्रों को सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण दिया जाता है। श्रीधर हाईस्कूल व डिप्लोमा छात्रों को ट्रेनिंग देने स्वयं जाते हैं। इस समय श्रीधर माथलमपराई गांव में रहते हैं और कंपनी के विकास की दिशा तय करते हैं। इस दौरान कहीं भी आने जाने के लिए वो कार के स्थान पर इलेक्ट्रिक रिक्शा का यूज करते हैं।
अन्य विकास कार्यों व सुविधाओं पर भी ध्यान देती है कंपनी:
श्रीधर ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के अलावा स्किल डेवलपमेंट, महिला सशक्तीकरण तथा समाजिक विकास के लिए बहुत से काम किए हैं। अब कंपनी फार्मिंग में भी इन्वेस्टमेंट्स कर रही है तथा आसपास के किसानों को जैविक खेती के लाभ के विषय में बता रही है। जोहो अपने कर्मचारियों को आवास भी मुहैया कराती है ताकि कर्मचारियों को आवागमन की समस्या न रहे।
निष्कर्ष:
एक साधारण व्यक्ति की असाधारण उपलब्धि’ जैसी उक्ति को सार्थक करने वाले व्यक्तित्व के स्वामी हैं श्रीधर वेम्बू। आज भी इन्हें साइकिल चलाते देखा जा सकता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी मेधा, पद प्रतिष्ठा, धन संपदा और वैभव को प्रथमिकता न देकर अथक परिश्रम, लगन व समाज कल्याण को प्रथमिकता दिया जिसका परिणाम है कि अपनी ज़मीन से जुड़े श्रीधर वेम्बू आज विश्व पटल पर देश को गौरवान्वित करने में ZOHO Company सफल रहे हैं।
About Wipro company: लोगों के मन में एक ऐसे संगठन की इमेज आती है ,जो भारत के, व्यावसायिक क्षेत्र में अपना सिक्का जमा चुका है| लेकिन क्या आप जानते हैं, इस विश्वप्रसिद्ध कंपनी की शुरुआत किस प्रकार से हुआ था? इसके शुरुआत की, समय के बारे में बात किया जाए, तो इसकी शुरुआत एक साबुन बनाने वाली कंपनी के रूप में हुई थी| इस आर्टिकल में हम Wipro की अविश्वसनीय यात्रा को आप लोगों तक पहुंचाएंगे, जिससे इसे एक छोटे व्यापार से लेकर विश्व के सबसे बड़ी और सबसे प्रमुख, IT Company बना दिया|
THE BLOG INCLUDE
Wipro company की शुरुआत: साबुन से लेकर टेक्नोलॉजी तक का सफर
History of Wipro: एक साधारण कंपनी से IT दिग्गज बनने तक
Contribution of Mohammad Premji: Wipro के शुरुआती दिनों की कहानी
Wipro company का वैश्विक विस्तार: इंटरनेशनल मार्केट में सफलता
भारत के IT सेक्टर में Wipro का योगदान: आज का परिदृश्य
विप्रो Foundation: कब भारत के समाज में योगदान
Wipro company started: साबुन से लेकर टेक्नोलॉजी तक का सफर
विप्रो company का शुभारंभ 1945 ईस्वी में मोहम्मद हाशिम प्रेम जी द्वारा किया गया था| पहले इसका नाम Western India Vegetable Products Limited जिसको हिंदी में पश्चिमी भारत वनस्पति उत्पाद लिमिटेड कंपनी के नाम से हुआ था| इस कंपनी में मुख्य रूप से तेल और साबुन बनाने का काम होता था| इस कंपनी का मुख्य उत्पाद, सूरजमुखी वनस्पति, और 787 साबुन था, जो कि उसे समय बहुत ज्यादा लोगों को प्रिया था, Wipro का नाम, वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड के शॉर्टकट नाम से निकाल कर आया था|
History of Wipro: एक साधारण कंपनी से IT दिग्गज बनने तक
Wipro company का हिस्ट्री भारत के उद्योग जगत में सबसे मोटिवेशनल स्टोरी में से एक है| इस कहानी से लोग सिखाते हैं, जिसमें एक साधारण इंडस्ट्री ने न केवल भारतीय उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अनूठी छाप छोड़ी| Wipro कंपनी की शुरुआत 1945 ईस्वी में मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने किया था| उसे समय इस कंपनी का नाम वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड था|
और इसका प्रमुख व्यापार वनस्पति तेल और साबुन का निर्माण करना था| कंपनी का यह प्रोडक्ट लोगों के लिए बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो गया था| इसका नाम Wipro company भी कंपनी के पहले नाम को ध्यान में रखते हुए किया गया था| इस कंपनी प्रारंभिक समय से लेकर इसके दूसरे दौर तक इस कंपनी का महत्वपूर्ण समय जब आया जब हाशिम प्रेम जी के बेटे अज़ीम प्रेमजी ने 1966 ईस्वी में इस कंपनी की बागडोर संभाली|
NAME
WIPRO COMPANY
Full name
Western India Vegetable Products Limited
Location
Karnataka Bengaluru
Starting Date
1945
Initial Major Products
Vegetable Oil and Soap
Founder
Mohammad Hashim Premji
Current industry
IT, Consulting, Outsourcing
Present in other countries
66
Number of Employees
220000+
About Wipro company
जब इन्होंने यह कार्यभार संभाला तो उनकी उम्र मात्र 21 वर्ष की थी| इन्होंने इस कंपनी की बागडोर इसलिए संभाली क्योंकि इनके पिताजी का आकस्मिक मृत्यु हो गया था| इसीलिए इन्होंने इस जिम्मेदारी को अपने कंधों पर उठाया, इस समय या कंपनी Wipro company एक सफल प्रयोग करता और उत्पाद कंपनी बन गई थी, लेकिन अज़ीम जी ने इसके फ्यूचर को देखकर एक बड़ा सपना देखा था| 1970 और 1980 के समय जब भारत में कंप्यूटर और आईटी उद्योग में तेजी आ रही थी तोअज़ीम प्रेम जी ने Wipro company को इस क्षेत्र में लाने का निर्णय लिया| सन 1980 के समय Wipro company ने आईटी और कंप्यूटर हार्डवेयर के क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशने के लिए कदम रखा| कंपनी ने मिनी कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर के विकास में लागत लगना शुरू किया| यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने, विप्रो कंपनी की दिशा को पूरी तरह से अलग दिशा में बदल दिया था| 1981 ईस्वी में Wipro company अपने पहले कंप्यूटर का निर्माण किया| और आईटी के क्षेत्र में अपनी पहुंच को मजबूत करने के लिए सॉफ्टवेयर सेवाओं में कदम रखना शुरू किया|
Wipro company कंपनी का आईटी क्षेत्र में पहला सबसे बड़ा प्रोजेक्ट भारत सरकार के द्वारा लिया गया था| जिसे कंपनी को भारतीय आईटी| बाजार में स्थापित कर दिया, इसके बाद में Wipro company ने अपना खुद का सॉफ्टवेयर विकसित किया बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग बीपीओ और अन्य आईटी सेवाओं में अपनी योगदान देना शुरू किया और विस्तार किया| 1990 के समय Wipro ने अपनी सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने शुरू कर दिया और, अमेरिका ,यूरोप ,और, एशिया में अपने ग्राहकों के लिए सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया
Contribution of Mohammad Premji: Wipro के शुरुआती दिनों की कहानी
मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने जब Wipro company की शुरुआत की थी तो उन्होंने एक छोटे से व्यापार के रूप में इसकी शुरुआत की और इस कंपनी की नींव रखने में उनका बहुत अहम योगदान है| मोहम्मद हाशिम प्रेम जी ने 1945 ईस्वी में वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड की शुरुआत की| इस कंपनी की स्थापना की बाद में से Wipro company नाम दे दिया गया| मोहम्मद हाशिम प्रेमजी एक दूरदर्शी व्यापारी थे, जिन्होंने अपने व्यापार की स्थापना के बाद उसकी नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सपना देखा था| | उनका योगदान न केवल व्यापार को सफल बनाने में था बल्कि उन्होंने Wipro company को एक विश्वसनीय और प्रसिद्ध ब्रांड बनाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| उनका नैतिक मूल्य था कि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए, जिससे Wipro company का नाम तेजी से विस्तार हो| 1950 ईस्वी मेंमोहम्मद हाशिम प्रेमजी का निधन हो गया तब उनका बेटा अंजिम प्रेमजी मात्र 21 वर्ष का था और उसने इसका बागडोर संभाल| और उसने इस कंपनी को आईटी के क्षेत्र में विस्तार किया और एक ठोस न्यू रखा और आज या इस क्षेत्र की बहुत ही कंफर्ट कंपनी है और यह कई देशों में अपना बिजनेस चल रही है
Wipro company का वैश्विक विस्तार: इंटरनेशनल मार्केट में सफलता
अब हम इस चरण में: Wipro companyकंपनी कि वैश्विक विस्तार और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में सफलता, के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं| समय है 2000 के दशक का इस समय विद्रोह का विस्तार और अधिक हो गया था |और इस समय न्यूयॉर्क स्टाफ एक्सचेंज में इसको सूचीबद्ध किया गया| जिससे यह अंतरराष्ट्रीय निवेश को के लिए भी उपलब्ध हो गई|
Wipro company ने कई प्रमुख आईटी कंपनियों का अधिग्रहण किया, और अपनी में क्लाउड ,कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा जैसी मॉडर्न तकनीक को शामिल किया| और आज Wipro company एक अंतरराष्ट्रीय आईटी सेवा प्रदाता बन चुकी है| जो लगभग 66 देश में फैली हुई है | और इसमें लगभग ₹220000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं| यह कंपनी एक साधारण उपयोग करता उत्पादन कंपनी से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय आईटी दिग्गज बनने तक का जो रास्ता तय किया वह सही दृष्टिकोण, नवाचार, और नेतृत्व के साथ यह सब कुछ Wipro company ने हासिल किया|अज़ीम प्रेम जी ने अपनी दूरदर्शिता और नेतृत्व से Wipro company को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जहां से यह न केवल भारत बल की पूरे विश्व में आईटी उद्योग में अग्रणी कंपनी के रूप में स्थापित हो चुका है, जो कि भारत के लिए एक गव की बात है|
भारत के IT सेक्टर में Wipro का योगदान: आज का परिदृश्य
भारत के आईटी क्षेत्र में Wipro company का सबसे बड़ा योगदान के बारे में अगर बात किया जाए, तो इसने मिनी कंप्यूटर तथा कई सॉफ्टवेयर का योगदान दिया है , साथ-साथ या बेंगलुरु की टॉप कंपनी में से एक है | साथ-साथ यह भारत के अलावा अन्य 66 देश में भी अपना छाप छोड़ चुकी है| इसका पहला प्रोजेक्ट था जो सब भारत सरकार के लिए था जहां इस कंपनी ने| कंप्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट पर काम किया था| इस प्रोजेक्ट की सफलता ने Wipro company को भारत में आईटीआई क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी के रूप में स्थापित किया| 1980 से लेकर 1990 ई तक के दशक की शुरुआत में Wipro company ने अपना आईटी व्यापार का विस्तार किया और सॉफ्टवेयर सेवाओं, तथा मिनी कंप्यूटर सेवाओं का शुभारंभ किया|
Wipro Foundation: कब भारत के समाज में योगदान
Wipro company कंपनी ने न केवल व्यापारिक संस्थान खोल और इसमें सफलता प्राप्त किया, बल्कि इसने सामाजिक जिम्मेदारियां को भी अपनाया और, इस क्षेत्र में भी खुलकर काम किया| इस कंपनी द्वारा एक संस्था चलाया जाता है जो भारत के लिए काफी ज्यादा लाभदायक है जिसका नाम है Wipro company फाउंडेशन, इसके माध्यम से कंपनी ने शिक्षा ,स्वास्थ्य ,और सामाजिक समावेश के क्षेत्र में कई परियोजनाएं शुरू की हैं|
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आप लोगों को एक मोटिवेशनल स्टोरी के बारे में बताया है और दर्शाया है कि कैसे, एक छोटी कंपनी की शुरुआत करके भी समय और प्रयास के साथ अंतरराष्ट्रीय और विश्व स्तरीय मार्केट में अपनी सफलता को दिखाया जा सकता है| Wipro company की कहानी उन सभी लोगों के लिए, प्रेरणा का स्रोत है जो बड़े सपने देखते हैं| और उन्हें साकार करने का जज्बा भी रखते हैं| इन सारी चीजों के साथ-साथ इस आर्टिकल में Wipro company के इतिहास उसके विकास आईटी क्षेत्र में उसके वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से समझाया गया है.