किसी भी राष्ट्र की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कुछ नियम होते हैं और इन नियमों को वैधानिक रूप से लागू करवाना कानून कहलाता है। इन कानूनों की भी अपनी एक परिधि होती है जो भिन्न भिन्न परिस्थितियों में संबंधित विषय और लोगों पर लागू होते हैं। इसी कारण कानून को मुख्य रुप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है. Sarvjanik aur niji Kanoon सार्वजनिक कानून की उपयोगिता सम्पूर्ण समाज के लिए होती है जैसे मानवाधिकार और राष्ट्र की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे सार्वजनिक कानून के अन्तर्गत आते हैं। वहीं किसी तरह की संपत्ति को लेकर विवाद या किसी कॉन्ट्रैक्ट के अनुपालन ना करने संबंधी विवाद को निपटाने का काम निजी कानून के तहत आता है।
आज के आलेख में हम आपको सार्वजनिक व निजी कानून से तात्पर्य, उनमें अंतर, निजी कानून के उप-विभाग तथा सार्वजनिक निकायों से संबंधित सार्वजनिक कार्यों की विश्लेषणात्मक जानकारी से अवगत कराएंगे।
सार्वजनिक कानून से तात्पर्य:
Sarvjanik कानून का दायरा अपेक्षाकृत बड़ा होता है जो सार्वजनिक और निजी दोनों ही निकायों के बीच तालमेल करते हुए उनके मामलों को अधिकृत तौर पर निपटाने का काम करता है। इस प्रकार सार्वजनिक कानून का संबंध सीधे सीधे आम जनता या सम्पूर्ण समाज से होता है। सार्वजनिक कानून के अंतर्गत जो उप- विभाग हैं वो निम्नलिखित हैं –
- अंतरराष्ट्रीय कानून
- संवैधानिक कानून
- प्रशासनिक व्यवस्था
- अपराधिक कानून
- नगरपालिका कानून
सार्वजनिक निकायों की भूमिका:
अमूमन सार्वजनिक निकायों के अधिकारियों को संसदीय कानून के निर्णय को क्रियान्वित करने का अधिकार होता है और वो इसके लिए अधिकृत होते हैं। सरकारी, मंत्री, विभाग व एजेंसियां, स्थानीय प्राधिकरण, स्वास्थ्य प्राधिकारी, पुलिस अदालतें,जेल, वैधानिक न्यायाधिकरण , कोरोनर अदालतें और General Medical Council जैसी संस्थाएं सार्वजनिक निकायों के उदाहरण हैं।
Sarvjanik निकायों के कार्य:
- DWP इस प्रकार के निर्णय के लिए अधिकृत है कि सरकारी कल्याणकारी कार्य के लिए कौन पात्र है और कौन नहीं
- यदि किसी सरकारी मंत्री ने कोई नियम निर्धारित किया है तो वो इसके लिए अधिकृत है कि संबंधित विवाद के लिए किसे और किस तरह से कानूनी सहायता प्रदान की जा सकती है
- किसी भी सरकारी योजना के लिए स्थानीय प्राधिकारी योजना को क्रियान्वित करने की अनुमति के लिए अधिकृत होंगे
- संबंधित क्षेत्र में आवास उपलब्ध कराने का भी अधिकार स्थानीय प्राधिकारी को होगा
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जानिए क्या है निजी कानून?
निजी कानून से तात्पर्य यह है कि जब कोई विषय दो वर्गों, व्यक्तियों के बीच किसी विवाद का निपटारा करता है तो वो निजी कानून के दायरे में आता है। दूसरे शब्दों में इस तरह का कानून व्यक्तियों और सरकारों के बीच सेतु का काम करता है. इसे हम सामान्य कानून भी कह सकते हैं। इसके अंतर्गत पारिवारिक कानून, अनुबंध का कानून, व्यापारिक कानून, संपत्ति व ट्रस्ट का कानून आदि आते हैं।
निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है निजी कानून को
किसी संस्थान के मालिक ने यदि अपने संस्थान के अंदर धूम्रपान करने की मनाही की है और यदि इस नियम का कोई उल्लंघन करता है तो इन नियमों को तोड़ने के लिये दी जाने वाली दंडात्मक कार्रवाई निजी कानून का उदाहरण है। इसी तरह जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संपत्ति या उससे संबंधित कोई विवाद होता है तब कुछ व्यक्तियों का समूह मिलकर इसका समाधान या समझौता करवा सकता है। लेकिन जब इससे बात नहीं बनती तो विधिक कानून का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
निजी कानून के अंतर्गत उप-विभाग:
- निगम क़ानून
- संपत्ति कानून
- प्रतिस्पर्धी कानून
- वाणिज्यिक कानून
- अनुबंधित कानून
- श्रम कानून
- Torts का कानून
सार्वजनिक कानून व निजी कानून के बीच मूलभूत अंतर:
चूंकि हम सभी एक सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत रहते हैं अतः हमें Sarvjanik aur niji Kanoon के नियमों व दायरों की पर्याप्त जानकारी से रूबरू होना चाहिए।
सार्वजनिक कानून व्यक्ति या व्यक्तियों का विनियमन न करके संबंधित कानूनी प्रणाली का विनियमन करता है। अतः सीधे सपाट शब्दों में कहें तो जो कार्य पूरे समाज को प्रभावित करते हैं वो सार्वजनिक कानून के दायरे में आते हैं और व्यक्ति या व्यक्तियों से संबंधित विवाद निजी कानून के दायरे में हैं। पर कभी कभी ऐसा भी देखा गया है कुछ ऐसे कार्य भी घटित होते हैं जो Sarvjanik aur niji Kanoon दोनों ही कानून का उल्लंघन करने के दायरे में आ जाते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई ऐसा लेखन जो समाज के लिए गलत संदेश देने वाला हो तो वो सार्वजनिक कानून के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसी तरह संपत्ति विवाद को निजी कानून के दायरे में रखा गया है लेकिन यदि उस दौरान कोई अपराधिक कृत्य होता है तो वह सामाजिक अपराध माना जाएगा और तब उसका निपटारा समाजिक कानून के तहत होगा।
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विशेष:
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अपराध की श्रेणियां व परिस्थितियां कानून के दायरे तय करती हैं और एक सुचारू सामाजिक व्यवस्था को चलाने के लिए कानून का पालन नागरिकों का दायित्व है।