किसी भी व्यक्ति के लिए स्वरोजगार बहुत जरूरी है। जब हम बच्चे होते हैं तो हमारे पालन पोषण की ज़िम्मेदारी माता पिता की होती है। लेकिन एक उम्र के बाद वयस्क होने पर हमें अपने पैरों पर खड़ा होना होता है ताकि हम आत्मनिर्भर हो सकें। इसके लिए हर कोई अपने पास उपलब्ध संसाधनों से अपने करियर को संवारने की हर संभव कोशिश करता है। पर कभी-कभी परिस्थितियां विपरीत हो जाती हैं और बहुत प्रयास के बाद भी व्यक्ति को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। लेकिन अपने साहस व पुरूषार्थ से हम स्वरोजगार पाने में सफ़ल हो सकते हैं।
आज के आलेख में हम आपको एक ऐसे रोजगार के अवसर की जानकारी से अवगत कराएंगे जहां आप महीने भर में 21000 से 25000 रूपए तक कमा सकते हैं। यदि आपके पास एक मोटरसाइकिल है तो ये कमाई आप Rapido kaise join kre? बड़ी सहजता से कर सकते हैं। आगे हम आपको Rapido ज्वाइन करने की प्रक्रिया, इनकम व अन्य लाभों की क्रमवार जानकारी देने जा रहे हैं –
Rapido kaise join kre? Rapido एक बाइक टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनी है जो शहर के अंदर लोगों को जरूरत पड़ने पर बाइक टैक्सी सेवा मुहैया कराती है। कम समय में ही Rapido ने लोगों में अपनी विश्वसनीयता कायम की है और आज़ 40 से अधिक शहरों में में 10-20 रूपए में ही लोगों को Bike Taxi सेवाएं दे रही है। यहां तक कि अब Rapido ने ऑटो सर्विस की सुविधा भी उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।
इस तरह ज्वाइन करें Rapido
Rapido ज्वाइन करने के लिए आपकी आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। साथ ही आवेदक के पास एक दो पहिया वाहन और उसे चलाने का अनुभव होना चाहिए। अब इच्छुक आवेदक अपने मोबाइल पर Rapido App डाउनलोड कर लें, इसके बाद इस पर सम्पर्क नंबर व ई-मेल आईडी डालकर Sign up करें। पुनः आगे आपको pickup place व डेस्टिनेशन को सेलेक्ट करना है। उपरोक्त औपचारिकता पूरी होने के बाद आपका सम्पर्क बाइक सवार से करवाया जाएगा।
जरूरी दस्तावेज
वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस
बाइक या स्कूटी जैसे दो पहिया वाहन
दो पहिया वाहन का पर्यावरण प्रमाण पत्र होना जरूरी है
ध्यान रहे कि बुकिंग से पहले आपको राइड के लिए किराया देख लेना चाहिए। इसका भुगतान डिजिटल मोड से भी किया जा सकता है। राइड पूरी होने पर यूज़र अपने अनुभव के अनुसार ड्राइवर को फीडबैक व रेट कर सकते हैं।
इनकम:
अमूमन रैपिडो ड्राइवरों को प्रतिमाह 21000 से 25000 रूपए के आसपास वेतन मिलता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वेतन अनुभव, काम के घंटों और क्षेत्र पर निर्भर करता है। Rapido बाइक टैक्सी ड्राइवर का वेतन अतिरिक्त शुल्क जैसे टोल शुल्क व यातायात शुल्क सहित 2.50 रूपए से 3 रूपए प्रति किलोमीटर तक होता है।
आज के आलेख में हम आपको Agent kaise bane? एजेंट किसे कहते हैं? उनका काम क्या होता है? तथा एजेंट कितने प्रकार के होते हैं? इन प्रश्नों की विश्लेषणात्मक जानकारी से आपको क्रमवार अवगत कराएंगे।
किसी भी अर्थव्यवस्था में कामकाज के विभिन्न क्षेत्र होते हैं तथा हर क्षेत्र में संबंधित कार्यों के निर्वहन के लिए विशेषज्ञ व अनुभवी लोग होते हैं। अतः ऐसे व्यक्ति या संस्थाएं जब अपने काम को विस्तार देते हैं तो उन्हें ऐसे विशेषज्ञ व कुशल लोगों की जरूरत होती है जो उनकी अनुमति से उनका प्रतिनिधित्व करते हुए दूसरे पक्ष से बातचीत करते हैं और उनके कार्यक्षेत्र को आगे बढ़ाने में सहायक भूमिका अदा करते हैं । कानूनी शब्दावली में ऐसे व्यक्ति को एजेंट कहा जाता है।
THE BLOG INCLUDE
Agent किसे कहते हैं?
कहां और किस तरह से काम करते हैं एजेंट?
एजेंट: मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
सार्वजनिक या यूनीवर्सल एजेंट:
सामान्य एजेंट:
विशेष एजेंट:
Agent किसे कहते हैं?
कानूनी भाषा के अनुसार एजेंट वह व्यक्ति होता है जिसे किसी व्यक्ति या संस्था की ओर से संबंधित कार्य निष्पादन के लिए आधिकारिक तौर पर नियुक्त किया जाता है और वह उसके लिए प्रभावी ढंग से काम करता है। दूसरे शब्दों में एजेंट किसी डील में अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत किए जाते हैं। इस प्रकार एजेंट अपने नियोक्ता के लिए प्रबंधन का काम करते हैं जैसे घर बिकवाना, वसीयत तैयार करना, खेल करियर से संबंधित प्रबंधन , अभिनय करियर का प्रबंधन तथा किसी के लिए व्यवसायिक प्रतिनिधि के रूप में काम करना।
Agent kaise bane? किस तरह से काम करते हैं?
अधिवक्ता या स्टॉकब्रोकर अपने प्रतिनिधि के रूप में एजेंट नियुक्त करते हैं। कुछ लोग संसाधन होते हुए भी समय या जानकारी के अभाव में अपने लिए एजेंट नियुक्त करते हैं। एक सार्वभौमिक एजेंट के पास विशेष या सामान्य एजेंट की अपेक्षा व्यापक अधिकार होते हैं। जबकि विशेष एजेंट सीमित कार्य योजना के लिए अधिकृत होता है। शारीरिक या मानसिक रूप से असमर्थ क्लाइंट के लिए नियुक्त किए गए एजेंट एजेंसी By Assessment के रूप में काम करते हैं। ज्यादातर एजेंट संबंधित राज्य अथारिटी से पंजीकृत व लाइसेंसधारी होते हैं।
वैसे तो एजेंट के काम का दायरा बहुत विस्तृत होता है और वो परिस्थितियों व जरूरत के हिसाब से अपने काम को अंजाम देते हैं। पर एजेंट की मूल भूमिका को देखते हुए सामान्य रूप से उनकी तीन प्रकार की कैटेगरी मानी जाती हैं-
सार्वजनिक या यूनीवर्सल एजेंट: (Public or Universal Agent)
यूनीवर्सल एजेंट को अपने क्लाइंट की ओर से व्यापक अधिकार मिले होते हैं। इस प्रकार के एजेंट अपने क्लाइंट की ओर से पॉवर ऑफ अटॉर्नी से अधिकृत होते हैं। अतः वो अपने ग्राहक की कानूनी कार्रवाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये एजेंट वित्तीय लेन-देन के लिए भी अधिकृत होते हैं।
सामान्य एजेंट: (General Agent)
सामान्य एजेंट वो होता है जो किसी निश्चित समय और विशेष कार्य के निष्पादन के लिए नियुक्त किया जाता है। इस तरह के एजेंट के पास संबंधित कार्य का व्यापक अधिकार होता है। लेकिन ये अधिकार उसी कार्य क्षेत्र तक सीमित रहता है जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया है। उदाहरण के लिए किसी फिल्म अभिनेता के लिए काम करने वाला एजेंट उसके प्रमोशन के लिए काम करता है लेकिन उसके जीवन के दूसरे कार्य उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।
विशेष एजेंट: (Exclusive Agent)
विशेष एजेंट एक निश्चित अवधि व छोटे बड़े कई लेन देन संबंधी कार्यों के लिए अधिकृत होता है। इस तरह के एजेंट से लोग समय व जरूरत के हिसाब से सम्पर्क करते हैं। इस श्रेणी में रियल एस्टेट एजेंट, बीमा एजेंट, ट्रैवल एजेंट व सिक्योरिटी एजेंट आते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि Agent kaise bane? भूमिका एक विशेषज्ञ बिचौलिए की होती है जो अनुबंधों के अनुसार काम करते हैं। जैसे स्टॉक ब्रोकर ग्राहकों और शेयर बाजार के बीच बिचौलिए का काम करता है। इसी तरह अभिनेता व खिलाड़ी अनुबंधों पर बातचीत करने के लिए एजेंट नियुक्त करते हैं। एक विशेषज्ञ एजेंट की भूमिका किसी अनुबंध या प्रमोशन को सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण होती है तथा अपने कार्य के एवज में वो अच्छी खासी कमाई भी कर लेते हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अब देश में डिजिटल भुगतान के कई माध्यम हैं, उसी के अंतर्गत Paytm प्रणाली भी एक डिजिटल भुगतान सेवा है। आजकल जितनी तेजी से Paytm ग्राहक बढ़ रहे हैं, उसी अनुपात में Paytm agent kaise bane? की भी मांग बढ़ रही है। आजकल पेटीएम एजेंट पेटीएम द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं को ग्राहकों तक पहुंचाकर अच्छी खासी इनकम कर रहे हैं। बहुत से लोग जिन्हें अपने काम से कुछ समय मिलता है ,वो पेटीएम एजेंट बनकर पार्ट टाइम कमाई कर रहे हैं।
आज के आलेख में हम आपको Paytm agent की अनुमानित कमाई, एजेंट बनने की प्रक्रिया व इसके लाभ की जानकारी से अवगत कराएंगे। यदि आप भी Paytm agent बनकर अपनी आय में अतिरिक्त इनकम चाहते हैं तो हमारा आलेख अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
यदि आप पेटीएम एजेंट बनकर कमाई करना चाहते हैं तो आपको Paytm की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर एजेंट के लिए आवेदन करना होगा। लेकिन इसके पूर्व आपमें कुछ योग्यताओं का होना ज़रूरी है जो निम्न हैं –
आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होना अनिवार्य है
आवेदक की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है
आवेदनकर्ता के पास एक स्मार्ट फ़ोन होना चाहिए
पेटीएम एजेंट के पास बेहतरीन कम्युनिकेशन क्षमता होनी चाहिए
एक पेटीएम एजेंट के पास फिंगरप्रिंट स्कैनर होना जरूरी है
ऊपर बताई गई योग्यताओं के रहते हुए यदि आपने पेटीएम एजेंट बनने का मन बना लिया है तो इसके आवेदन के लिए नीचे step by step दी गई प्रक्रियाओं को फॉलो करें-
सबसे पहले आप Paytm की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। आधिकारिक वेबसाइट पर जाने के बाद इसके Home Page पर जाएं। Home Page खुलते ही आपके सामने एक फार्म ओपन होगा जिसमें आपके विषय में पूछी गई जानकारी आपको क्रमशः भरनी होगी। फार्म भरने के बाद आपके सामने “Do you have a Fixed Outlet” का विकल्प आएगा और आप Yes के आप्शन पर क्लिक कर दें। अब Are you an exciting customer service point for any other bank के कॉलम में No पर क्लिक करें। इसके बाद आपके सामने एक पेटीएम एजेंट रजिस्ट्रेशन फार्म खुलेगा जिसे आपको सावधानी के साथ भर लेना है। इस फॉर्म को भरने के बाद आपको Submit के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है। फॉर्म का सबमिशन होने के बाद पेटीएम टीम द्वारा आपका फॉर्म सत्यापित होने के बाद सब कुछ सही होने की स्थिति में आपके मोबाइल पर SMS द्वारा वेरीफिकेशन सूचना दी जाएगी। वेरीफिकेशन के बाद सबसे आखिर में पेटीएम टीम आपको कॉल करेगी साथ ही ये सूचित करेगी कि आप अपना Pan Card व आधार कार्ड वेरीफ्लाई करवा लें।
Paytm agent की कमाई:
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जनसेवा केंद्र चलाने वालों के लिए पेटिएम एजेंट बनने की राह और आसान हो जाती है। इस तरह आप पेटीएम ग्राहकों की KYC करा सकते हैं और इससे जुड़ी अन्य सेवाओं को उपलब्ध कराने के एवज में आपकी महीने भर की इनकम 30-40 हजार रुपए तक हो सकती है। पेटीएम सर्विस एजेंट बनकर आप ग्राहकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरह से सेवा प्रदान कर सकते हैं। पेटीएम एजेंट एक कमीशन बेस्ड सेवा है। इसमें कोई निश्चित इनकम नहीं होती। हां लेकिन पेटीएम एजेंट को प्रत्येक सर्विस के लिए कमीशन मिलता है। इस प्रकार Paytm agent जितनी अधिक सर्विस का इस्तेमाल करेगा, पेटीएम की तरफ से उसे उतना ही कमीशन प्राप्त होगा।
अमूमन एक पेटीएम एजेंट ग्राहकों को निम्न सुविधाएं उपलब्ध करवाता है
पेटीएम KYC दिलवाना
पेटीएम पेमेंट बैंक की सुविधा प्रदान करना।
पेटीएम मनी ट्रांसफर
मोबाइल रिचार्ज सुविधा
मूवी टिकट या ट्रेन टिकट उपलब्ध करवाना
Paytm QR code दिलवाना
Paytm Sound Box दिलवाना
निष्कर्ष:
अतः आपने बढ़ा Paytm agent kaise bane? कोई भी व्यक्ति सामान्य योग्यताओं के साथ Paytm agent बन सकता है। जीवन बीमा निगम की तर्ज पर ही Paytm agent काम करते हैं और पेटीएम सुविधाएं ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2010 से Paytm ने अपनी सुविधाओं के विस्तार के लिए एजेंट के जरिए काम करवाना शुरू किया। आज़ इन्हीं के जरिए पेटीएम का विस्तार तेजी से हो रहा है साथ ही इनकी कमाई भी बढ़ रही है।
Rise of Digital Payments: दुनिया भर में डिजिटल भुगतान (Online Payment) का चलन अब आम बात हो गई है। समय और परिस्थितियों की मांग ने मानव जीवन में विकास के नए आयाम दिए हैं। आज यदि भारतीय संदर्भ में इस विषय पर बात करें तो भारत में ई-कॉमर्स मार्केट 31% की CAGR से बढ़ते हुए 2026 तक $200 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। कहना न होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल भुगतान की भूमिका व सफलता ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। आज़ देश एक बेहतरीन कैशलेस प्रणाली की ओर निरंतर अग्रसर है। UPI को अपनाकर जनसाधारण ने सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर देश को मजबूती दी है। लोगों को नकदी और चिल्लर जैसी समस्याओं से मुक्ति मिली है। साथ ही कहीं न कहीं लोगों की जेब का अतिरिक्त खर्च भी कम हुआ है।
THE BLOG INCLUDE
उत्तरोत्तर बढ़ती संभावनाएं:
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) का गठन:
आज देश में लगभग 10 तरह के डिजिटल भुगतान मौजूद हैं
Banking Card:
असंरक्षित पूरक सेवा डेटा (USSD):
आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (AEPS):
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI):
मोबाइल वॉलेट:
बैंक प्री-पेड कार्ड:
बिक्री केंद्र (POS):
इंटरनेट बैंकिंग:
मोबाइल बैंकिंग:
माइक्रो ATM:
निष्कर्ष:
आज के आलेख में आपको भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल भुगतान की बढ़ती संभावनाएं, उपयोगिता व प्रभाव से संबंधित विस्तृत जानकारी से अवगत कराएंगे।
उत्तरोत्तर बढ़ती संभावनाएं:
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2021 तक भारत में अनुमानतः 1.18 बिलियन मोबाइल कनेक्शन, 700 मिलियन इंटरनेट यूजर्स तथा 600 के आसपास एंड्रॉयड फोन थे, यह आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2020 में रीयल – टाइम भुगतान लेन-देन में भारत का दुनिया में प्रथम स्थान रहा। सबसे पहले 1996 में ICICI ने अपनी शाखाओं में इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग का प्रयोग करते हुए भारत में Online Banking सेवाओं का शुभारंभ किया। उसके बाद क्रमशः 1999 में HDFC, IndusInd व Citi बैंकों ने Online Banking सेवाएं प्रारंभ कईं। इस तरह देश में डिजिटल लेन देन की शुरुआत हुई और ज्यादातर बैंकों ने अपने यूजर्स को डिजिटल भुगतान की सेवाएं देना शुरू कर दिया।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) व भारतीय बैंक संघ (IBA) ने मिलकर संयुक्त रूप से देश में एक सशक्त भुगतान व निपटान प्रणाली के रूप में 2008 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) का गठन किया। इसके बाद NPCI ने BBPS , Bhim व चेक ट्रांजैक्शन जैसी कई सुविधाएं लांच कीं।
आज देश में लगभग 10 तरह के डिजिटल भुगतान मौजूद हैं जिनकी जानकारी नीचे दी जा रही है –
Banking Card:
Rise of Digital Payments: सर्वप्रथम 1980 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकिंग कार्य को क्रेडिट कार्ड के रूप में लांच किया। उसके बाद क्रमशः1988 में मास्टर कार्ड और 1993 तक विभिन्न PCU बैंकों ने क्रेडिट कार्ड की शुरुआत की।
असंरक्षित पूरक सेवा डेटा (USSD):
ये भुगतान प्रणाली 2016 में शुरू हुई। इस बैंकिंग सुविधा के यूजर्स इंटरनेट कनेक्शन के बगैर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं।
आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (AEPS):
इस सुविधा के तहत यूजर्स को संबंधित बैंक आधार सत्यापन के द्वारा किसी भी बैंक के व्यवसाय संवाददाता के जरिए बिक्री केंद्र (POS) पर Online लेन देन की सहमति देता है।
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI):
इसे सर्वाधिक प्रचलित सहज और सुरक्षित डिजिटल भुगतान माध्यम माना जाता है। 2016 में NPCI द्वारा जारी की गई ये सेवा पीयर -टू-पीयर ट्रांजैक्शन की सुविधा उपलब्ध कराती है।
मोबाइल वॉलेट:
ये एक वर्चुअल सुविधा है। इसके द्वारा पेमेंट कार्ड की जानकारी मोबाइल पर कलेक्ट की जा सकती है।
बैंक प्री-पेड कार्ड:
इस कार्ड का मोटो है “अभी भुगतान करें, बाद में उपयोग करें”। इसके जरिए यूजर्स को कार्ड में उपलब्ध अमाउंट से खरीदारी करने की सुविधा होती है।
बिक्री केंद्र (POS):
ये एक तकनीकी सुविधा है जो किसी भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान में कस्टमर को कैशलेस सिचुएशन में वस्तुओं या सेवाओं के लेन देन के लिए प्रदान की जाती है।
इंटरनेट बैंकिंग:
इंटरनेट बैंकिंग संबंधित बैंक के ग्राहकों को पोर्टल के माध्यम से लेन देन की सुविधा प्रदान करती है।
मोबाइल बैंकिंग:
इस सुविधा के तहत बैंक व वित्तीय संस्थान मोबाइल डिवाइस के जरिए लेन देन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
माइक्रो ATM:
इस पोर्टेबल डिवाइस के द्वारा कार्ड स्वाइप मशीनों जरिए लेन देन किया जाता है।
जैसा कि उपरोक्त Rise of Digital Payments: विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल लेन देन के माध्यम में समर्थ और सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 2015 में पूरे देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की जोरदार शुरूआत की जिसके तहत सरकार ने प्रत्येक नागरिक को मोबाइल फोन व बैंक खाते उपलब्ध कराने का अभियान चलाया जिसका उद्देश्य ऑनलाइन माध्यम से सभी को यथासमय लेन देन की सुविधा सुनिश्चित कराना है। सरकार के इस अथक प्रयास का परिणाम है कि पूरे देश में कैशलैस व्यवस्था का विस्तार तेजी से बढ़ रहा है और जन साधारण में डिजिटल संसाधनों की उपयोगिता सिद्ध हो रही है। आज निरंतर विकास की ओर बढ़ते भारत की ये मिसाल है कि बड़े बड़े मॉल से लेकर फल व सब्जी बेचने वाले हॉकर्स भी स्कैनर के जरिए डिजिटल लेन देन का प्रयोग कर रहे हैं।
Content writer kya hota hai? अपने व्यवहारिक जीवन में हम सभी अपनी भावनाओं, इच्छाओं और विचारों को मुख्य रूप से तीन प्रकार से अभिव्यक्त करते हैं – लिखकर, बोलकर और इशारों के माध्यम से। अपने विचारों को लिखकर व्यक्त करना लेखन विधा का हिस्सा है। अब ये कहना ना होगा कि लेखन विधा का नायक लेखक होता है। कहा जाता है कि लेखनी की धार तलवार की धार से कमतर नहीं होती। एक लेखक का सर्वकालीन महत्व कभी छिपा नहीं रहा और आज के डिजिटल युग में राइटर का दायरा और अधिक विस्तारित हो गया है।
लेखक के लिए उसकी लेखनी सिर्फ आय का साधन नहीं होती बल्कि सामाजिक ज्ञान व प्रवर्धन का मुख्य स्त्रोत होती है। आप सभी जानते हैं कि लेखक का बहुत विस्तृत दायरा होता है। लेखन विधा का स्कोप मीडिया, फिल्म, पत्रकारिता हर जगह है। इस प्रसंग में में जब हम कंटेंट राइटर की बात करते हैं तो बहुत से लोगों के दिमाग में ये सवाल उठ सकता है कि कंटेंट राइटर क्या होता है? कैसे बना जाएं ? और इसके जरिए कैसे कमाई की जाए? आज के आलेख में हम आपको इसी महत्वपूर्ण विषय की क्रमवार विस्तृत जानकारी से अवगत कराएंगे। अतः यदि आप अपनी लेखन कला को व्यवसायिक रूप देना चाहते हैं तो हमारे आलेख को अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
Content writer किसे कहते हैं?
कंटेंट राइटर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न विषयों पर आकर्षक व रोचक तरीके से लिखने की क्षमता रखता हो। कंटेंट (content) का मतलब ही होता है सामग्री। एक कंटेंट राइटर को लिखने के लिये जो विविध विषय दिए जाते हैं, उन्हें ही contents कहते हैं। कंटेंट राइटर की भी अपनी एक कैटेगरी होती है जैसे कल्चर, रीलीजन, ज्योतिष व वास्तु, एजुकेशन, फाइनेंस, ऑटोमोबाइल, फिल्म व मीडिया आदि। एक कुशल कंटेंट राइटर अपने लेखन कौशल के माध्यम से अपने पाठकों को आकर्षित या प्रभावित करता है। यहां ये बताना आवश्यक है कि जितना अनुभवी व कुशल कंटेंट राइटर होगा, उसकी इनकम भी उसी अनुपात में बढ़ती रहती है।
Content writer kya hota hai? कैसे बनें?
हम किसी भी क्षेत्र में काम करें, उसके लिए हमारे अंदर कुछ बेसिक स्किल्स या क्षमता होनी चाहिए जो आगे चलकर अऩुभव के साथ हमें परिपक्व बनाती है। अब यहां प्रश्न उठता है कि कंटेंट राइटर बनने के लिए हमारे अंदर किस तरह की स्किल्स होनी चाहिए? यहां एक महत्वपूर्ण बात स्पष्ट कर देना ज़रूरी है और वो ये कि कंटेंट राइटर बनने के लिए किसी विशेष डिग्री या कोर्स की दरकार नहीं होती। बल्कि कुछ गुण व योग्यताओं की आवश्यकता होती है जो हमारे कंटेंट राइटर बनने का मार्ग सुलभ कर देंगी। आपकी सुविधा के लिए हम नीचे एक परिपक्व कंटेंट राइटर बनने के कुछ मुख्य गुणों का उल्लेख करेंगे.
हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि लेखन के लिए अपनी अभिरुचि का विषय ही चुनें। शिक्षा, स्वास्थ्य, टेक्नोलॉजी , मनोरंजन , यात्रा , खेल आदि बहुत से विषय हैं कंटेंट राइटिंग के लिए, पर आपको उसी कैटेगरी का चयन करना चाहिए जिसमें आपकी रूचि हो। क्योंकि अपनी रूचि का विषय रहेगा तभी आप लिखने में सहज हो पाएंगे।
लेखन शैली व व्याकरण पर विशेष ध्यान दें:
एक लेखक के लिए ये बहुत जरूरी है कि उसकी शैली पठनीय हो और वाक्य विन्यास ऐसे होने चाहिए जो आम बोलचाल की भाषा का प्रतिनिधित्व करें। संभव हो तो इस विधा में अपने को और समर्थ बनाने के लिए आप अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन कोई कोर्स कर लें।
निरंतर लेखन अभ्यास जारी रखें:
आपने लेखन के लिए जिस कैटेगरी को चुना है, उस पर निरंतर लिखने काम काम करते रहें। ये काम आप सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा आप ब्लॉग पोस्ट या अपनी व्यक्तिगत डायरी में भी अपने पसंदीदा विषय को लिखने का अभ्यास कर सकते हैं। इसके बाद अपने आलेख की स्वयं एडिटिंग करें या किसी अन्य अनुभवी लेखक से करवा कर अपनी कमियों को सुधार सकते हैं।
अपनी बेहतरीन लेखन सामग्रियों का संकलन कर तैयार करें पोर्टफोलियो:
अपनी बेहतरीन लेखन सामग्रियों का पोर्टफोलियो तैयार करें। ब्लॉग या सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर आप आसानी से अपना पोर्टफोलियो दूसरे माध्यमों को ऑनलाइन उपलब्ध करा सकते हैं।
कंटेंट राइटर की नौकरी (Content writer job)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि indeed, Naukri.com, LinkedIn जैसे पोर्टल पर कंटेंट राइटर की वैकेंसी आती रहती है। आप अपना Resume व Portfolio बनाकर अपने अनुकूल वैकेंसी पर आवेदन करते रहें। यदि आप स्वतंत्र काम (freelance) करना चाहते हैं तो इसके लिए Fiverr, Freelancer व Upwork जैसी वेबसाइट्स पर काम कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर आपको अनेक ऐसे पोर्टल की जानकारी मिल सकती है जहां आपको कंटेंट राइटिंग का बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकता है।
एक Content writer कितना कमाता है?
जैसा कि ऊपर जानकारी ली है अनुभवी कौशल पूर्ण कंटेंट राइटर अच्छे पैसे बना सकते हैं यह पूर्णत उनके लेखन पर निर्भर करता है। भारत में एक अनुमानित कंटेंट राइटर की वार्षिक कमाई 2 लाख से लेकर 5 लाख के बीच हो सकती है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार उपरोक्त विश्लेषणात्मक जानकारी व आकलन के आधार पर हम कह सकते हैं कि आज के परिप्रेक्ष्य में Content writer kya hota hai? बनने के लिए किसी विशेष डिग्री की नहीं बल्कि व्यवहारिक व सामाजिक ज्ञान, प्रभावशाली लेखन, निरंतर अभ्यास और संबंधित विषय पर मजबूत पकड़ की दरकार होती है। इस तरह एक कुशल पेशेवर लेखक बनकर आप अपने को आर्थिक व सामाजिक दोनों ही रूपों में सबल व समर्थ बना सकते हैं।