दुबई में ड्राइवर बनना एक अच्छी कमाई करने वाला माध्यम कहा जा सकता है। इसके अलावा यदि आप दुबई यात्रा पर भी जाते हैं और वहां घूमने के लिए स्वयं गाड़ी ड्राइव करना चाहते हैं तो भी उपरोक्त दोनों ही स्थितियों में आपको अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस (IDL) लेना अनिवार्य है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको दुबई सरकार के किसी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से विधिवत् लाइसेंस परीक्षा पास करनी होगी। यदि आप एक सामान्य मोटर वाहन ड्राइवर बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों से लोग अच्छी कमाई करने के लिए दुबई में ड्राइवरी करने जाते हैं।
आज के आलेख में हम आपको बताएंगे कि दुबई में ड्राइविंग के लिए क्या और कैसे करें? क्या विदेश में गाड़ी चलाते समय आईडीपी जरूरी है? दुबई के लिए अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कैसे आवेदन करें? आईडीएल कहां से प्राप्त करें? साथ ही दुबई में गाड़ी चलाने हेतु वहां के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया से अवगत कराएंगे।
दुबई में अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना बहुत मुश्किल नहीं होता। इसके लिए आपको नीचे उल्लिखित प्रक्रियाओं का क्रमशः पालन करना होगा।
आपको लाइसेंस प्राप्त करने वाले कार्यालय जाना होगा। यदि आप ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं तो ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं
अपने सभी मांगे गए वैधानिक दस्तावेज कार्यालय में जमा करें या साइट पर अपलोड करें
यदि आप कार्यालय जाकर उपरोक्त औपचारिकताओं को पूरा करते हैं तो आपका lDL अमूमन 30 मिनट में बन सकता है अतः बेहतर यही होगा कि आप संबंधित कार्यालय से जाकर ही अपना अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाएं
प्रायः यह देखा गया है कि ऑनलाइन आवेदन की सम्पूर्ण प्रक्रिया पूरी होने में तीन से पांच दिन लग जाते हैं इसलिए अपना लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है
Dubai में ड्राइवर का वेतन (Driver salary in Dubai)
दुबई में ड्राइवर का वेतन शुरूआती दौड़ में AED 1851 से लेकर AED 4500 के बीच हो सकता है। वहीं अगर इंडियन करेंसी की बात करें तो 42 हज़ार से लेकर 1 लाख़ रूपए तक हो जायेगा।
क्या विदेश में गाड़ी चलाते समय IDP जरूरी है?
सच पूछिए तो ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है अतः इस विषय में सटीक जानकारी आवश्यक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट (IDP) एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसके द्वारा आपको अन्य देशों में ड्राइविंग की परमीशन मिलती है। इसके लिए आपके पास गृह देश का वैधानिक लाइसेंस होना चाहिए। यदि आपका घरेलू ड्राइविंग लाइसेंस 1968 कन्वेंशन की जरूरतों को fulfill करता है तो ऐसे में IDP जरूरी नहीं है। इस प्रकार यदि संबंधित देश उपरोक्त कन्वेंशन का हिस्सा है तो आप अपने आंतरिक ड्राइविंग लाइसेंस को विदेश में भी वैधानिक रूप से प्रयोग कर सकते हैं।
दुबई के लिए अन्तर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कैसे आवेदन करें?
Dubai जाकर ड्राइवरी करने के इच्छुक लोगों के लिए ये स्वाभाविक प्रश्न हो सकता है कि दुबई के लिए अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कैसे आवेदन करे? दुबई में ड्राइविंग लाइसेंस के इच्छुक प्रवासी आवेदक ऑनलाइन माध्यम से भी प्रक्रिया पूरी करके लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आवेदक को इंटरनेट की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि वो भली भांति सभी चीजों को समझ सके साथ ही ये सूचित कर सके कि इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी उसे Roads and Transport Authority (RTA) के माध्यम से हुई है।
दुबई में ‘’Click and Drive ‘’ के माध्यम से ये सुविधा दी जाती है। इसका लाभ आवेदक वेबसाइट के द्वारा उठा सकते हैं। इस वेबसाइट पर आवेदक को सबसे पहले ये क्लियर करना होगा कि अन्य किसी भी देश के द्वारा जारी किया गया लाइसेंस आपके पास मौजूद नहीं है। पुनः Light Vehicle automatic/manual: DH3,865 फिर क्रमशः Motorcycle: DH 675 से स्टार्ट कैटेगरी में से किसी एक को सेलेक्ट करना होगा।
उपरोक्त प्रक्रिया के बाद’’Apply Now’ कर दें। इसके बाद visa व Emirates ID से संबंधित समस्त जानकारी शेयर करें।
IDL कहां से प्राप्त करें?
इस संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि IDL कहां से प्राप्त करें? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस आप निम्न में से किसी भी पोर्टल से प्राप्त कर सकते हैं जैसे –
डिलीवरी सेवा के साथ दुबई में मौजूद IDL पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन
अमीरात पोस्ट ऑफिस- दुबई,अबू धाबी,अल ऐन,शरजाह, आरएके,अजमान,फुजैराह,उम्म अल कुवैन तथा पश्चिमी क्षेत्र
यूएई कार्यालयों के ऑटोमोबाइल और टूरिंग क्लब – शेख जायद रोड पर Dnata कार्यालय व आरटीए कार्यालय
दुबई में गाड़ी चलाने हेतु वहां के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया:
जहां तक दुबई में गाड़ी चलाने हेतु वहां के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की बात करें तो सर्वप्रथम यह जान लें कि दुबई में अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस का मूल्य परमिट की वैधता सीमा पर निर्भर करता है जो प्रायः तीन वर्ष के लिए होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुबई में ड्राइविंग के लिए भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस मान्य नहीं होगा बल्कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट आवश्यक है। यद्यपि दुबई जाने से पहले आपके पास भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए।
दुबई में IDL के लिए आवेदन करते समय आपको आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी सम्पूर्ण जानकारी और दो फोटोग्राफ उपलब्ध कराना होगा। इसके बाद परमिट शुल्क का भुगतान करना होता है। यदि आवेदक ने ऑनलाइन आवेदन जमा किया है तो दो घंटे के अंदर आपका लाइसेंस स्वीकृत हो जाएगा। इसके उपरांत लाइसेंस की भौतिक प्रति आप द्वारा मेंशन करवाए गए पते पर भेज दी जाएगी।
निष्कर्ष:
उपरोक्त विश्लेषणात्मक जानकारी के माध्यम से हमने देखा कि दुबई में ड्राइवर बनने और ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया एक दूसरे की पूरक हैं। यदि आप लाइसेंस के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों की उपयुक्त जानकारी रखते हैं तो दुबई में गाड़ी चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना आपके लिए ना ही अधिक पेचीदा साबित होगा ना ही बहुत मंहगा।
ये बात सच है कि किसी भी व्यवसाय के आकार पर उसका लाभ निर्भर करता है। जितना उपयुक्त संसाधन होगा, लाभ का ग्राफ भी उतना ही ऊपर जाएगा। यदि आप कोई ऐसा बिजनेस करना चाहते हैं जिसका लाभ अंतर्राष्ट्रीय आकलन पर निर्भर करता हो तो पेट्रोल पंप का व्यवसाय करना आपको निश्चित रूप से बहुत फायदा देने वाला साबित होगा। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आवागमन व परिवहन के साधनों की मांग की प्रवृत्ति निरंतर बढ़ने ही वाली होती है अतः पेट्रोल पंप का धंधा हमेशा उच्च लाभ वाला ही माना जाता है।
आज के आलेख में हम आपको पेट्रोल पंप कैसे खोलें? पेट्रोल पंप के लिए लगने वाले संसाधन, Petrol Pump के लिए आवश्यक निवेश, पेट्रोल पंप डीलरशिप के लिए आवेदन प्रक्रिया आदि की क्रमवार जानकारी से अवगत कराएंगे। यदि आप भी पेट्रोल पंप खोलने की योजना बना रहे हैं तो हमारे आज के आलेख को अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत लाभदायक साबित होगा।
पेट्रोल पंप खोलने के लिए सबसे पहले आपको इसके लिए लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। ये लाइसेंस आप सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की किसी ऑयल मार्केटिंग कंपनी (OMC) से प्राप्त कर सकते हैं। जैसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड आदि से लाइसेंस प्राप्त करना होगा।
Petrol Pump के लिए लगने वाले संसाधन:
पेट्रोल पंप खोलने वाले आवेदक की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष व अधिकतम 55 वर्ष होनी चाहिए
आवेदक भारतीय नागरिक हो, NRI होने की स्थिति में आवेदक का भारत में 182 दिनों का निवास आवश्यक है
जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदक को हाईस्कूल का अंकपत्र लगाना होगा
सामान्य वर्ग के आवेदक की योग्यता 12वीं पास तथा आरक्षित श्रेणी के आवेदक को 10वीं पास होना अनिवार्य है। लेकिन शहरी क्षेत्र के आवेदकों की शैक्षिक योग्यता ग्रेजुएट रक्खी गई है। वहीं CC2 कैटेगरी में स्वतंत्रता सेनानी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता की कोई शर्त नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अमूमन 15 लाख से डीलरशिप की शुरुआत होती है। वहीं शहरी क्षेत्रों में ये राशि 2 करोड़ या उससे अधिक हो सकती है।
आवेदक को इस बात का ध्यान रखना होगा कि पेट्रोल पंप खोलने वाली जगह ब्लैक लिस्टेड या बहिष्कृत क्षेत्र के अंतर्गत नहीं होनी चाहिए
आवेदक के पास अपनी भूमि होनी चाहिये या ऐसी जगह चुनें जहां जमीन लंबे समय के लिए पट्टे पर ली जा सके। इस तरह रिटेल आउटलेट दो तरह के हो सकते हैं –
नियमित रिटेल आउटलेट: इस तरह के आउटलेट राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गो पर शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में खोले जाते हैं।
ग्रामीण रिटेल आउटलेट: इस तरह के आउटलेट राष्ट्रीय राजमार्गो पर न होकर ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाते हैं।
विशेषज्ञ जानकारी के अनुसार 800 वर्ग मीटर से 1200 वर्ग मीटर तक का क्षेत्र पेट्रोल पंप खोलने के लिए आदर्श माना जाता है।
Petrol Pump के लिए आवश्यक निवेश-
ग्रामीण क्षेत्र में पेट्रोल पंप खोलने के लिए यदि स्वयं की जमीन है तो 15 से 20 लाख रूपए निवेश करने होंगे। वहीं शहरी क्षेत्र में स्वयं की जमीन होने पर ये लागत 30 से 35 लाख रुपए आएगी।
आवेदक पेट्रोल पंप खोलने के लिए अपने पास मौजूद नकद राशि व जेवरात के अलावा निम्न फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं.
बचत खाता
डाक योजना
राष्ट्रीय बचत पत्र
म्युचुअल फंड्स
फिक्स्ड डिपॉजिट
बॉन्ड व शेयर
बैंक डिपॉजिट
Petrol Pump डीलरशिप के लिए आवश्यक नियम
लाइसेंस फीस:
1-16/किलो लीटर की कैपिसिटी वाले हाई स्पीड डीज़ल ‘B’/’DC’ रिटेल आउटलेट के लिए मोटर स्पिरिट का मूल्य 18 रूपए/ किलो लीटर निर्धारित होगा।
2- 41 किलो लीटर की कैपिसिटी वाले हाई स्पीड डीज़ल’ ‘A’/’CC’ रिटेल आउटलेट के लिए मोटर स्पिरिट का मूल्य 48 रूपए/किलो लीटर निर्धारित होगा।
Petrol Pump के लिए आवेदन शुल्क:
नियमित रिटेल आउटलेट के लिए आवेदक को 1000 रूपए आवेदन शुल्क जमा करना होगा तथा रिटेल आउटलेट के लिए 100 रूपए शुल्क है। उपरोक्त शुल्क में आरक्षित श्रेणियों को 50 प्रतिशत की छूट उपलब्ध है।
Petrol Pump के लिए फिक्स्ड फीस:
पेट्रोल पंप के लिए फिक्स्ड फीस से तात्पर्य ये है कि यदि कोई आवेदक संबंधित क्षेत्र की जमीन का मालिक है तो उसे नियमित रिटेल आउटलेट के लिए 15 लाख रुपए तथा ग्रामीण रिटेल आउटलेट के लिए 5 लाख रुपए देने होंगे। इसके साथ ही यदि कंपनी के स्वामित्व वाली डीलरशिप है तो ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्र के आवेदक को 10 लाख रुपए तथा नियमित साइट वाले आवेदक को 30 लाख रुपए का भुगतान करना होगा।
आवश्यक प्रमाण पत्र व आदेश:
अपनी डीलरशिप को बिना किसी कानूनी व्यवधान के चलाने के लिए कुछ आवश्यक प्रमाण पत्र व आदेश की जरूरत होती है जैसे-
संबंधित स्थान का वैधानिक दस्तावेज।
लाइसेंसिंग प्राधिकरण से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त कर लेना चाहिए
नगर निगम (MCD) व अग्नि सुरक्षा कार्यालय से प्रमाणित परमीशन आवश्यक है
प्रमाणन व संबंधित अधिकारियों से NOC प्राप्त कर लेना अनिवार्य है
petrol pump kaise khole? आवेदन प्रक्रिया:
जहां तक पेट्रोल पंप के लिए आवेदन प्रक्रिया संबंधी जानकारी की बात है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जानी मानी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) देश के अमूमन हर शहरों में पेट्रोल पंप डीलरशिप प्रदान करने संबंधी विज्ञापन ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रकाशित करती रहती हैं। इच्छुक आवेदक OMC की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या विज्ञापन में दिए गए पते पर जाकर विधिवत् जानकारी ले सकते हैं। एक ही क्षेत्र में यदि कई आवेदक पेट्रोल पंप के लिए आवेदन करते हैं तो OMC लॉटरी की प्रक्रिया या बोली लगाकर चयनित आवेदक की घोषणा करती है।
निष्कर्ष:
उपरोक्त विश्लेषणात्मक आलेख में आपने देखा कि कि पेट्रोल पंप की डीलरशिप एक बड़ा पूंजीगत निवेश है। अतः इसके आवेदन से पूर्व ही आवेदक को संबंधित स्थान के आउटलेट का चयन सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्गो, हाई वे रूट या व्यस्त व फेमस मार्केट पर मौजूद पेट्रोल पंप कमाई की दृष्टि से बहुत लाभदायक साबित होते हैं।
Why Snapdeal failed_Snapdeal: आज के आधुनिक समाज ने तकनीकी और आर्थिक रूप से विकास के नए आयाम गढ़े हैं। इंटरनेट के बढ़ते चलन से Online shopping को जबरदस्त बल मिला है। ग्राहकों की इस मांग के परिणामस्वरूप ही ई-कॉमर्स कंपनियों ने मार्केट में एक से बढ़कर एक Online shopping Platform खड़े किए हैं। जैसे फ्लिपकार्ट, Amazon व Snapdeal जैसे प्लेटफॉर्म ने बहुत बड़े पैमाने पर ग्राहक वर्ग तैयार किए हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश की सबसे चर्चित ई-कामर्स प्लेटफॉर्म Snapdeal की मार्केट वैल्यू लगातार गिरने की खबरें आ रही हैं और ये काफी हद तक सत्य है।
अस्थिर व खराब नीतियों की स्नैपडील के पतन में रही अहम् भूमिका:
आज के आलेख में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि 6.5 बिलियन डॉलर की कंपनी क्यों हो रही है खत्म? जिसे दो दोस्तों ने मिलकर किया था 2010 में स्टार्ट। जानते हैं Snapdeal की मार्केट वैल्यू में आ रही गिरावट के मुख्य कारणों को –
स्नैपडील की शुरुआत कैसे हुई?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि स्नैपडील की शुरुआत कैसे हुई? कुणाल बहल व रोहित बंसल नाम के दो दोस्तों ने 2010 में स्नैपडील की नींव रखी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस समय स्नैपडील मार्केट में आया उस समय भारत में उसका एकमात्र प्रतियोगी फ्लिपकार्ट था। स्नैपडील ने अपने गठन की शुरुआत से ही बड़े पैमाने पर सेलर्स और इन्वेस्टर्स को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। कंपनी की सफलता को देखते हुए उसे ज़बरदस्त फंडिंग मिलने लगी। इस तरह 6 साल में ही स्नैपडील भारत की दूसरी सबसे बड़ी ई-कामर्स कंपनी बनकर उभरा। इस दौरान इस कंपनी के इन्वेस्टर्स में रतन टाटा,ईबे, सॉफ्टबैंक व नेक्सस वेंचर जैसे नामचीन नाम थे। कंपनी का वैल्यूएशन 6.5 बिलियन डॉलर के आसपास आंका गया तथा कंपनी का तत्कालीन मार्केट शेयर 25% तक पहुंच गया। कंपनी के बढ़ते लाभ के कारण बड़ी संख्या में सेलर्स इससे जुड़ते गए। कंपनी की बेहतरीन पॉलिसी और अच्छे मैनेजमेंट के चलते सेलर्स को 7 दिन में ही पेमेंट मिल जाती थी जबकि दूसरी कंपनियां यही भुगतान 21 दिनों में करती थीं।
6.5 बिलियन डॉलर के बिजनेस का आंकड़ा छूने वाली स्नैपडील का मार्केट 2016 से गिरना शुरू हो गया। अब 25% मार्केट शेयर वाली कंपनी का शेयर घटकर 4% पर आ गया। परिणामस्वरूप 2017 में कंपनी के बैंकरप्ट होने की नौबत आ गई थी। अब यहां यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर क्यों शुरू हुआ स्नैपडील का पतन? क्या कारण है कि इन्वेस्टर्स, सेलर्स और कस्टमर्स इससे दूर होते गए? यहां तक कि कंपनी के कर्मचारी भी कंपनी छोड़ने लगे।
यहां सबसे पहले कस्टमर्स की बात करते हैं क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियों में कस्टमर्स की भूमिका बहुत अहम् होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश यूजर्स की ये शिकायत आने लगी कि उन्हें आर्डर किए हुए प्रोडक्ट डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद प्राप्त हो रहे हैं, कस्टमर आर्डर कुछ और करते हैं और उन्हें डिलीवरी कुछ और सामान की कर दी जाती है। इसके पीछे सबसे मुख्य कारण कमजोर मैनेजमेंट का होना है जो सही तरीके से शिकायतों की इन्क्वायरी नहीं कर पा रहे थे परिणामस्वरूप लोगों ने अन्य दूसरे शॉपिंग प्लेटफॉर्म की ओर रुख करना शुरू कर दिया।
कस्टमर की तरह ही स्नैपडील के सेलर्स भी स्नैपडील के रवैए से तंग चुके थे। जहां पहले उन्हें ढेर सारे आर्डर्स मिलते थे और बढ़िया बिक्री होती थी, अब वो खत्म होती जा रही थी। कंपनी की ग़लत नीतियों की वजह से कभी कभी ऐसा होता कि सेलर्स के अकाउंट ब्लॉक कर दिए जाते और अनब्लाॅक करवाने के लिए कोई पर्याप्त अथारिटी ही नहीं मिलती।
अस्थिर व खराब नीतियों की स्नैपडील के पतन में रही अहम् भूमिका:
खराब लीडरशिप की स्नैपडील के फेल होने में बड़ी भूमिका रही, क्योंकि कंपनी के सभी निर्णय केवल दो CEO ही लेते थे। किसी भी तरह के नीति निर्माण में मैनेजमेंट के अनुभवी सदस्यों से कोई सलाह नहीं ली जाती थी। अस्थिर नीतियों की वजह से परेशान सेलर्स कंपनी छोड़ने को विवश हो गए तथा यही कारण रहा कि इन्वेस्टर्स व यूजर्स ने भी कंपनी से किनारा कर लिया और 6.5 Billion dollar की कंपनी खत्म होने की कगार पर आ पहुंची है।
निष्कर्ष: Why Snapdeal failed_Snapdeal !
उपरोक्त विश्लेषणात्मक आकलन में एक बात मुख्य रूप से स्पष्ट हुई कि किसी भी कंपनी को आगे ले जाने में उसके मजबूत मैनेजमेंट की भूमिका होती है। इसी तरह उसके पतन के लिए कमजोर मैनेजमेंट जिम्मेदार होता है। स्नैपडील का निरंतर हो रहा पतन इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।
zoho company: हर युवा का सपना होता है कि वह अपने करियर में वो मुकाम हासिल कर ले जिसका सपना वो हमेशा से देखता आया है। लेकिन सपने को साकार करने के लिए हकीकत में मेहनत करना होता है। सपने साकार होने का आनंद तब दोगुना हो जाता है जब ये मुकाम अपने लोगों के बीच जमीनी स्तर पर काम करके हासिल किया जाता है, विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों में जहां वो काम बहुत मुश्किल हो और लोगों की सहमति भी आशंका से भरी हो। लेकिन इस काम को अंजाम दिया तमिलनाडु के एक ऐसे शख्स ने जिसने एक छोटे से गांव व सामान्य से परिवार में में पल बढ़कर विदेश जाने तक का सफ़र तय किया किया। इनकी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा देखिए, अमेरिका में एक बेहतरीन जॉब व सेटल होने का अवसर त्याग कर अपने गांव में ZOHO नाम की सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी खोल दी।
दोस्तों आज के आलेख में हम आपको ZOHO कंपनी के मालिक और पद्मश्री से सम्मानित श्रीधर वेम्बू के सफलता की कहानी बताएंगे जिनकी कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 2,749 करोड़ रूपए का मुनाफा कमाया। जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले युवा को हमारा आलेख अंत तक पढ़ना एक बेहतरीन मार्गदर्शन साबित होगा।
करियर की शुरुआत कुछ इस तरह रही-
श्रीधर वेम्बू तमिलनाडु के एक गांव तेनकासी के रहने वाले हैं। बहुत सामान्य से मध्यमवर्गीय परिवार में में पले बढ़े वेम्बू की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। आगे चलकर इस मेधावी का चयन 1989 में IIT मद्रास के लिए हो गया। उसी दौरान PHD के लिए अमेरिका जाने का अवसर मिला तथा शोध कार्य खत्म होते ही वहां इनका एक अच्छा प्लेसमेंट भी हो गया। लेकिन ये उनका लक्ष्य नहीं था क्योंकि उनके मन में कुछ और ही था अतः दो वर्ष के बाद ही वेम्बू ने वहां की नौकरी छोड़ दी और स्वदेश वापस आ गए।
परिवार के लोगों को नहीं रास आया उनका ये फैसला पर अपने सपने को सच कर दिखाया इस मेधावी ने:
उनके इस फैसले पर परिवार व अन्य करीबी लोगों को बहुत अचरज हुआ क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वेम्बू अमेरिका की इतनी अच्छी नौकरी को छोड़कर भारत आ जाएंगे। सबने श्रीधर को समझाने का हर संभव प्रयास किया पर वो अपने निर्णय पर अटल रहे। क्योंकि उनके दिमाग़ में पहले से ही था कि उन्हें अपने देश में ही रहकर अपना खुद का काम करना है। इसके कुछ ही समय बाद लोगों की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए 1996 में अपने भाई के साथ एडवेंटनेट नाम की एक सॉफ्टवेयर कंपनी की नींव रखी। आगे चलकर 2009 में अपनी इस कंपनी का नाम बदलकर ZOHO Carporation कर दिया। यही नहीं श्रीधर ने अपनी कंपनी का ऑफिस खोलने के लिए किसी बड़े शहर के स्थान पर तेनकासी गांव को ही चुना और आज यहां उनकी कंपनी का हाईटेक ऑफिस मौजूद है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ZOHO जैसी कंपनी का ऑफिस खुलने के बाद तेनकासी को जिले का दर्जा प्राप्त हो गया। दरअसल श्रीधर हमेशा से ये चाहते थे कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और भारत की सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में काम करें।
ZOHO Company: 39 हज़ार कड़ोर की कंपनी के मालिक:
एक रिपोर्ट के अनुसार जोहो कॉरपोरेशन का रेवेन्यू 39,000 करोड़ रूपए है। जब 2000 में डॉट- काम बबल फटने से बहुत सी कंपनियां दिवालिया हो गईं, उस दौरान भी जोहो मजबूती से टिका रहा क्योंकि उसके पास बैंक में नकदी थी, देनदारी के लिए कोई निवेशक नहीं था तथा कंपनी के अधिकांश कर्मचारी भारत में थे तो परिचालन लागत भी न के बराबर रही। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 2,749 करोड़ रूपए का लाभ अर्जित किया है। इस प्रकार जोहो इस वर्ष सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाली भारतीय इंटरनेट कंपनी बन चुकी है।
श्रीधर का मक़सद था कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चों को सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण मिले। इसी उद्देश्य से उन्होंने जोहो स्कूल की स्थापना की। यहां पर नॉन टेक्निकल छात्रों को सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण दिया जाता है। श्रीधर हाईस्कूल व डिप्लोमा छात्रों को ट्रेनिंग देने स्वयं जाते हैं। इस समय श्रीधर माथलमपराई गांव में रहते हैं और कंपनी के विकास की दिशा तय करते हैं। इस दौरान कहीं भी आने जाने के लिए वो कार के स्थान पर इलेक्ट्रिक रिक्शा का यूज करते हैं।
अन्य विकास कार्यों व सुविधाओं पर भी ध्यान देती है कंपनी:
श्रीधर ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के अलावा स्किल डेवलपमेंट, महिला सशक्तीकरण तथा समाजिक विकास के लिए बहुत से काम किए हैं। अब कंपनी फार्मिंग में भी इन्वेस्टमेंट्स कर रही है तथा आसपास के किसानों को जैविक खेती के लाभ के विषय में बता रही है। जोहो अपने कर्मचारियों को आवास भी मुहैया कराती है ताकि कर्मचारियों को आवागमन की समस्या न रहे।
निष्कर्ष:
एक साधारण व्यक्ति की असाधारण उपलब्धि’ जैसी उक्ति को सार्थक करने वाले व्यक्तित्व के स्वामी हैं श्रीधर वेम्बू। आज भी इन्हें साइकिल चलाते देखा जा सकता है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी मेधा, पद प्रतिष्ठा, धन संपदा और वैभव को प्रथमिकता न देकर अथक परिश्रम, लगन व समाज कल्याण को प्रथमिकता दिया जिसका परिणाम है कि अपनी ज़मीन से जुड़े श्रीधर वेम्बू आज विश्व पटल पर देश को गौरवान्वित करने में ZOHO Company सफल रहे हैं।
जीवन बीमा की तरह ही वाहनों का भी इंश्योरेंस होता है जिसे मोटर बीमा कहते हैं। वाहनों का बीमा करने वाले एजेंट मोटर बीमा एजेंट कहलाते हैं। ये एजेंट बीमा कंपनी व ग्राहक के बीच बिचौलिए का काम करते हैं। मोटर बीमा एजेंट भी जीवन बीमा एजेंट की तरह ग्राहकों को विशेषज्ञ सलाह देते हैं । इस प्रकार ग्राहक अपनी प्रथमिकता व उपयोगिता के अनुसार अपने वाहन का बीमा करवाना तय करता है।
जीवन बीमा एजेंट की भांति ही मोटर बीमा एजेंट को भी संबंधित बीमा कंपनी से निर्धारित कमीशन मिलता है। आजकल व्हीकल उपभोक्ताओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या के अनुपात में ही मोटर बीमा की डिमांड भी बढ़ती जा रही है, इसी कारण मोटर बीमा एजेंट इसके जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं। आज के आलेख में हम आपको मोटर बीमा एजेंट की भूमिका, उनको मिलने वाले लाभ व मोटर बीमा एजेंट बनने की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी से क्रमवार अवगत कराएंगे। यदि आप भी मोटर बीमा एजेंट बनने की सोच रहे हैं तो हमारे आलेख को अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
Motor insurance Agent kaise bane? ये है प्रक्रिया:
मोटर बीमा एजेंट बनने के लिए उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल अथवा उसके समकक्ष पर्याप्त है। इसके साथ लाइसेंसिग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 50 घंटे की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य होता है। इस परीक्षा में बीमा नियमों व नैतिक आचरण से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। IRADAI द्वारा ली जाने वाली परीक्षा व 50 घंटे की ट्रेनिंग के बाद लाइसेंस प्रदान करने के पूर्व आपराधिक पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी व फिंगरप्रिंट परीक्षण किया जा सकता है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद आप संबंधित राज्य के बीमा विभाग से मोटर बीमा लाइसेंस के लिए अपना आवेदन कर सकते हैं।
लाइसेंस मिलने के बाद आप किसी भी बीमा कंपनी या एजेंसी में एजेंट के तौर पर अपना काम शुरू कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ एजेंट पॉइंट ऑफ सेल्स पर्सन (POSP) की तरह अपना स्वतंत्र काम करते हैं। POSP के लिए भी हाईस्कूल की योग्यता अनिवार्य है। साथ ही इन्हें 15 घंटे का प्रशिक्षण लेना होता है।
एक विशेषज्ञ के रूप में ग्राहकों का मार्गदर्शन करते हैं
मोटर बीमा एजेंट ग्राहक को उसकी जरूरत और प्रथमिकता के हिसाब से बीमा पॉलिसी लेने की सलाह देते हैं। इसके अंतर्गत कार, मोटरसाइकिल और अन्य कई प्रकार के व्यावसायिक वाहनों के लिए उपयुक्त पॉलिसियों के चयन की सलाह देते हैं।
संबंधित कंपनी की पॉलिसी को कुशलतापूर्वक बेचना:
मोटर बीमा एजेंट की कुशलता ग्राहक और बीमा कंपनी के बीच उच्च कोटि की मध्यस्थता करना है जिसके परिणामस्वरूप वो ज्यादा से ज्यादा पॉलिसियां बेचकर बीमा कंपनी को तो लाभ पहुंचाता ही है, स्वयं की भी बहुत अच्छी कमाई कमीशन के रूप में कर लेता है।
ग्राहक को पूरा सहयोग देना:
मोटर बीमा एजेंट अपने क्लाइंट का हर तरह से सहयोग करते हैं। पॉलिसी बेचने के बाद भी वो अपने क्लाइंट के सम्पर्क में रहते हैं और पॉलिसी के रिनुअल,क्लेम व किसी बदलाव से संबंधित कार्य की ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं।
जोखिमों का आकलन करने के विशेषज्ञ:
मोटर बीमा एजेंट वाहन से संबंधित हर तरह के जोखिम का आकलन कर लेते हैं। ये ग्राहक के वाहन के मॉडल, वाहन चालक की आयु व ड्राइविंग रिकार्ड की विश्लेषणात्मक जानकारी प्रदान करके भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम का निर्धारण करवाते हैं।
बीमा उद्योग में होने वाले किसी भी तरह के परिवर्तनों से सरोकार रखना:
मोटर बीमा एजेंट बीमा कंपनी में होने वाले परिवर्तन व नई नीतियों के साथ हमेशा टच में बने रहते हैं जिससे वो अपने ग्राहक को बेहतर सुविधा प्रदान करने में सक्षम होते हैं तथा प्रासंगिक नियमों से उन्हें अवगत कराते रहते हैं।
आपने देखा Motor insurance Agent kaise bane? की कार्य व भूमिका बीमा कंपनी व ग्राहक के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करती है। इस प्रकार एक सामान्य प्रक्रिया से गुजरकर आप सफल मोटर बीमा एजेंट बन सकते हैं तथा अपनी कार्यकुशलता व अनुभव से कमाई का ग्राफ निरंतर बढ़ा सकते हैं।