BSF kaise join kre: BSF यानि सीमा सुरक्षा बल, एक ऐसी सशस्त्र सैन्य सेवा जो देश की सीमाओं पर हर तरह से सुरक्षा करती है। सीमा पर अनैतिक गतिविधियों व अवैध घुसपैठ को रोकने में सीमा सुरक्षा बल की अहम भूमिका होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय सीमा सुरक्षा बल का गठन 1 दिसंबर 1965 में हुआ था। इसे विश्व के सबसे बड़े सीमा रक्षक दल का दर्जा प्राप्त है। आज के आलेख में हम आपको सीमा सुरक्षा बल (BSF) ज्वाइन करने से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी से अवगत कराएंगे जैसे BSF कैसे ज्वाइन करें, बीएसएफ के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती हैं, Border Security Force age limit क्या है , बीएसएफ में महिलाओं की भर्तीतथ BSF में सैलरी कितनी है आदि की क्रमबद्ध जानकारी देंगे।
Border Security Force के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती हैं?
BSF के लिए कितनी Height चाहिए?
Border Security Force age limit
BSF में महिलाओं की भर्ती:
BSF की सैलरी कितनी है?
Border Security Force के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती हैं?
बीएसएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर भर्ती हेतु अभ्यर्थी को क्लास 10th व 12th पास होना जरूरी है। साथ ही संबंधित क्षेत्र में या ट्रेड में आईटीआई या डिप्लोमा कोर्स होना चाहिए। यदि असिस्टेंट कमांडेंट पदों के लिए आवेदन किया है तो आवेदक के पास संबंधित क्षेत्र में इंजीनियरिंग या उससे समकक्ष डिग्री होनी चाहिए। बीएसएफ हेड कांस्टेबल की परीक्षा के लिए उम्मीदवार को निम्न पैटर्न पर तैयारी करनी होती है –
हेड कांस्टेबल परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को कुल 5 विषय लेने होते हैं
सभी विषयों की परीक्षाएं लिखित रूप से आयोजित होती हैं
लिखित परीक्षा में 100 अंक के वस्तुनिष्ठ प्रश्न आते हैं
प्रत्येक 1 अंक के लिए 100 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं
हर गलत उत्तर पर 0.25 अंक निगेटिव मार्किंग के रूप में काट लिए जायेंगे
BSF के लिए कितनी Height चाहिए?
BSF के लिए कितनी height चाहिए? तो BSF के संदर्भ में पुरुष अभ्यर्थी की लंबाई 172 सेमी व महिला अभ्यर्थी की लंबाई 157 सेमी होनी चाहिये। साथ ही अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा आदि राज्यों के पुरूष अभ्यर्थियों की लंबाई 162.5 सेमी तथा महिला अभ्यर्थियों की लंबाई 152.5 सेमी निर्धारित है।
Border Security Force age limit
किसी भी सरकारी नौकरी में, विशेषकर सेवा में, उम्र को ध्यान में रखा जाता है। न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 25 से 30 वर्ष के बीच है। अगर आपकी उम्र इसके बीच है तो आप बीएसएफ के लिए आवेदन कर सकते हैं।
महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन हेतु भारत सरकार ने सीमा सुरक्षा बल में महिला सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति को सहर्ष सहमति दी है। 25 वर्ष से कम आयु की महिलाओं की असिस्टेंट कमांडेंट पदों पर नियुक्त की जाएगी। इन अधिकारियों की तैनाती पाकिस्तान व बांग्लादेश सीमा पर होनी है। नियुक्ति प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की संभावना है और अगले वर्ष के मध्य तक इन्हें तैनाती भी मिल जाएगी। यद्यपि भारत सरकार ने वर्ष 2009 से सीमा सुरक्षा बल में महिला कांस्टेबल की भर्ती शुरू कर दी थी तथा वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 3,500 हो गई है।
BSF की सैलरी कितनी है?
BSF में वेतन खास तौर पर रैंक और सेवा के ऊपर निर्भर करता है, लेकिन एक कांस्टेबल की सैलरी 21700 से लेकर 70000 रुपए तक हो सकती है।
निष्कर्ष:
BSF kaise join kre: उपरोक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद BSF में जाने के लिए इच्छुक उम्मीदवार BSF की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर विस्तार से अन्य जानकारी भी विधिवत् रूप से प्राप्त कर सकते हैं।
अमूमन हर व्यक्ति अपनी कमाई का उपयोग दो तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है , पहला अपने वर्तमान जीवन यापन करने के लिए और दूसरा भविष्य में एक सुरक्षित और मजबूत आर्थिक स्थायित्व के लिए। दूसरे प्रकार की जरूरत को पूरा करने के लिए एक सुनियोजित बचत और निवेश जरूरी है। इसी बचत और निवेश का एक माध्यम है म्युचुअल फंड। आज का निवेशक आर्थिक रूप से समर्थ और मजबूत बनना चाहता है, इसी हेतु वह अपनी बचत को ऐसी जगह लगाना चाहता है जहां भविष्य में उसके लिए एक अच्छा खासा फंड तैयार हो सके। इसके लिए वह जोखिम उठाने को भी तैयार रहता है। म्युचुअल फंड वितरक (Mutual fund distributor) निवेशकों की इन्हीं आर्थिक योजनाओं को सही आकार व दिशा देने का काम करते हैं। एक विशेषज्ञ की भूमिका का निर्वहन करते हुए म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर निवेशकों को उनकी जरूरत व बजट के हिसाब से म्युचुअल फंड इकाइयां खरीदने व बेचने की सलाह देते हैं। इसके एवज में उन्हें कमीशन प्राप्त होता है जो उनकी अर्जित आय कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत में म्युचुअल फंड व्यवसाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया ( AMFI) के तहत काम करता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति जो म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाहते हैं, उन्हें AMFI से अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है।
आज के आलेख में हम आपको म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर कैसे बनें? म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर बनने के लिए क्या करना पड़ेगा? म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर को कितना कमीशन मिलता है? एवं म्युचुअल फंड वितरक का कमीशन चार्ट आदि की A to Z जानकारी देंगे। यदि आप भी म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर बनने की योजना बना रहे हैं तो हमारे आलेख को अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर को कितना कमीशन मिलता है?
ट्रेल कमीशन:
Mutual fund distributor बनने के लिए क्या करना पड़ेगा?
आज के समय में ज्यादातर निवेशक लांग टर्म इन्वेस्टमेंट के रूप में म्युचुअल फंड में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। यही वजह है कि अब लोग म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर के कार्य को प्रोफेशन के रूप में अपना रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। दरअसल म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर निवेशक और योजना के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, इसीलिए इस व्यवसाय में कुशलता के साथ ही विश्वसनीयता की भी दरकार होती है।
NISM परीक्षा पास करना होगा:
यदि आप म्युचुअल फंड वितरक बनना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको NISM (National Institute of Securities Markets) की परीक्षा पास करनी होगी। NISM की स्थापना 2006 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने की थी। NISM परीक्षा के उम्मीदवार को परीक्षा में 50% अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है। NISM सिरीज़ V-A म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स सर्टिफिकेशन परीक्षा में 100 प्रश्न आते हैं, प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का होता है।
AMFI में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा बेची जाने वाली म्युचुअल फंड योजनाओं की मात्रा के आधार पर कमीशन का भुगतान किया जाता है। साथ ही डिस्ट्रीब्यूटर एएमसी अथवा फंड हाउस के साथ पार्टनरशिप करके भी म्युचुअल फंड स्कीम की खरीद फरोख्त कर सकते हैं।
ARN नंबर के लिए आवेदन:
म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वाले व्यक्ति या संस्था को AMFI के साथ ही ARN नंबर के लिए आवेदन करके पंजीकरण करवाना होता है जिसके तहत मांगे गए दस्तावेजों को जमा करना पड़ता है। दरअसल ARN नंबर इसलिए भी महत्वपूर्ण होता हैं, क्योंकि ये डिस्ट्रीब्यूटर की विश्वसनीयता की जांच परख करने का एक माध्यम है और इस तरह यह निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करता है। किसी वितरक का ARN नंबर उसके द्वारा किए गए निवेश उस पर कमाए गए कुल कमीशन का ब्यौरेवार रिकॉर्ड रखता है। अतः कोई भी म्युचुअल फंड वितरक या संस्था को इस व्यवसाय को शुरू करने के पहले AMFI के साथ ही ARN नंबर का पंजीयन करा लेना चाहिए। अब नीचे आप देखेंगे कि सम्पूर्ण म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर बनने के लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रियाओं को स्टेप बाई स्टेप पूरा करना होगा-
सबसे पहले NISM – सीरीज -V-A म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स सर्टिफिकेशन परीक्षा क्वालिफाई करना होगा।
AMFI पंजीकरण के साथ ARN पंजीकरण प्राप्त करें।
विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंड्स के साथ सीधे जुड़ें। इसके अलावा अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर प्लेटफॉर्म निवेश से जुड़ सकते हैं।
एक विशेषज्ञ की तरह अपने क्लाइंट को उसके बजट व परिस्थिति के अनुसार स्कीम प्रदान करने पर फोकस करें।
अपने व्यवसाय को निरंतर बढ़ाएं।
अपने ग्राहकों के लिए हमेशा नए नए सॉफ्टवेयर की सहायता लें और उन्हें नई से नई योजना की जानकारी से अवगत कराएं।
म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर को कितना कमीशन मिलता है?
अब ये स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि एक म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर को कितना कमीशन मिलता है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डिस्ट्रीब्यूटर का कमीशन उसके प्रकार और संबंधित कंपनी की पॉलिसी पर निर्भर करता है। यद्यपि कुल कमीशन संरचना स्कीम के AUM के 0.05% से 2% तक निर्धारित होता है जो वितरक द्वारा बताए गए AUM स्लैब या मार्केट शेयर के आधार पर भी अलग अलग हो सकती है। पहले म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर दो प्रकार से कमीशन प्राप्त करते थे – अग्रिम कमीशन व ट्रेल कमीशन। वर्तमान में अग्रिम कमीशन लागू नहीं है।
ट्रेल कमीशन:
इस समय सेबी ने म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर को केवल एक प्रकार से कमीशन देना सुनिश्चित किया है जो कुल AUM का एक प्रतिशत निर्धारित है। इसे ट्रेल कमीशन कहते हैं जिसका भुगतान वितरक के AUM के आधार पर तब तक किया जाता है जब तक उससे संबंधित निवेशक डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए म्युचुअल फंड में निवेश करना जारी रखता है।
निष्कर्ष:
उपरोक्त विश्लेषण में आपने देखा कि म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर कैसे बनें , की प्रक्रिया की स्टेप बाई स्टेप जानकारी आपकी सुविधा के अनुसार उपलब्ध कराई गई है। यदि आप इसे भली भांति समझ लेते हैं तो ये आपके म्युचुअल फंड वितरक बनने की राह को आसान बना सकती है.
वैसे तो पायलट बनने का सपना ज्यादातर युवाओं का होता है। उनमें से बहुत से युवा हेलिकॉप्टर पायलट बन जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आसमान की ऊंचाइयों पर उड़ने तक का सफ़र रोमांच और उत्साह से भरा तो होता है पर इसके पीछे इन जांबाजों की कड़ी मेहनत और लगन की भी बड़ी भूमिका होती है। साथ ही उचित प्रशिक्षण व अभ्यास ही आपका हेलिकॉप्टर पायलट बनने का सपना साकार कर सकता है।
आज के आलेख में हम आपको हेलिकॉप्टर पायलट की भूमिका, हेलिकॉप्टर पायलट कैसे बनें, हेलिकॉप्टर पायलट बनने के लिए क्या पढ़ना पड़ता है, हेलिकॉप्टर पायलट की सैलरी कितनी होती है, सेना में हेलीकॉप्टर पायलट कैसे बनें तथा वायुसेना में हेलिकॉप्टर पायलट की सैलरी कितनी होती है, जैसे विषयों की क्रमबद्ध जानकारी से अवगत कराएंगे। यदि आप भी Helicopter pilot बनने की योजना बना रहे हैं तो हमारे आलेख को पूरा पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
भारतीय वायुसेना में ऑफिसर रैंक पर भर्ती होने के बाद सैलरी:
हेलिकॉप्टर पायलट की भूमिका:
हेलीकॉप्टर पायलट यात्रियों व सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुंचाते हैं।
हवाई सर्वेक्षण व निरीक्षण का सफलतापूर्वक संचालन करते हैं।
जरूरत पड़ने पर खोज व बचाव जैसे राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आपात समय में आग बुझाने जैसे कार्यों में मदद करते हैं।
पर्यटन कार्यों में हेलिकॉप्टर पायलट अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।
कृषि से संबंधित कार्यों जैसे फसलों में छिड़काव आदि में सहयोग देते हैं।
Helicopter pilot कैसे बनें?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक कुशल हेलिकॉप्टर पायलट बनने के लिए आपको आवश्यक रूप से निर्धारित मानक के अनुसार उड़ान समय का अनुभव होना चाहिए , जिस क्षेत्र में अप्लाई कर रहे हैं उससे संबंधित उड़ान का अनुभव आवश्यक है। साथ ही हेलिकॉप्टर पायलट का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए निर्धारित लिखित व उड़ान परीक्षाएं पास करनी होंगी।
Helicopter pilot बनने के लिए क्या पढ़ना पड़ता है?
इसके लिए आपको सबसे पहले किसी फ्लाइट स्कूल में जाकर एविएशन में डिग्री लेना आवश्यक है। अतः आपको किसी प्रतिष्ठित कॉलेज या फ्लाइट स्कूल में दाखिला लेना चाहिए। इसके लिए सेलेक्ट एविएशन कॉलेज आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है जहां आपको हेलिकॉप्टर पायलट बनने के लिए बेहतरीन प्रशिक्षण आधुनिक तकनीक के साथ दिया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक प्रतिष्ठित एविएशन संस्थान से डिग्री लेना अपेक्षाकृत बेहतर अवसर और नियुक्ति दिलाने में सहायक होगा। एक अच्छी बात यह भी है कि सेलेक्ट एविएशन जैसे कॉलेज अपने छात्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं अतः इस प्रकार का सहयोग आपके हेलीकॉप्टर पायलट बनने के मार्ग को और सुलभ बना देगा। अमूमन औपचारिक रूप से हेलिकॉप्टर पायलट बनने के लिए आपके पास 200 घंटे की उड़ान का अनुभव होना चाहिए। अधिकांश कंपनियों में 1000 से 1500 घंटे का उड़ान अनुभव मांगते हैं।
यदि हम बात करें कि हेलिकॉप्टर पायलट की कितनी सैलरी होती है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में एक Helicopter pilot की सैलरी का राष्ट्रीय औसत 1,40,000 रूपए मासिक है। वैसे विभिन्न संस्थानों व सेवाओं में हेलीकॉप्टर पायलट का वेतन भिन्न भिन्न है। उदाहरण के लिए हेलिगो चार्टर्स में हेलीकॉप्टर पायलट का मासिक वेतन 2 से 3 लाख, कल्याण ज्वैलर्स में 5 से 6 लाख, पवन ग्रुप में 1 से 2 लाख रुपए है।
भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट या फाइटर पायलट बनना व शक्तिशाली जेट विमानों को संचालित करने का काम किसी भारतीय के लिए सिर्फ रोमांच का विषय नहीं है बल्कि अदम्य साहस व कौशल के साथ गौरवान्वित महसूस कराने वाला एहसास भी है। यदि आप भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट बनने के लिए कृतसंकल्प हैं तो आपको इसके लिए निम्न प्रक्रियाओं से क्रमशः गुज़रना होगा।
Helicopter pilot बनने के लिए कुछ मुख्य प्रक्रियाएँ
NDA परीक्षा:- उम्मीदवार को 12th की परीक्षा भौतिकी व गणित विषय में पास होनी चाहिए। ऐसे अभ्यर्थी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा में अपीयर हो सकते हैं। ये परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा प्रति दो वर्ष में संचालित की जाती है।
CDS परीक्षा:- यदि आपने किसी भी विषय में स्नातक किया है तो संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा देना फ्लाइंग ब्रांच में शामिल होने का एक बेहतरीन अवसर देती है। सीडीएस की परीक्षा भी यूपीएससी द्वारा साल में दो बार संचालित होती है।
AFCAT :- एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) परीक्षा भारतीय वायुसेना द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित की जाती है । आपकी जानकारी के लिए बता दें कि AFCAT की परीक्षा में सफल परीक्षार्थियों के करियर की शुरुआत सेना में कमीशन प्राप्त अधिकारी के रूप में होती है। इन अधिकारियों को लड़ाकू पायलट बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
NCC से प्रवेश:- वो NCC कैडेट जिनके पास एयर विंग सीनियर डिवीजन ‘C’ सर्टिफिकेट है, वो विशेष प्रवेश के पात्र हैं। इसमें Male कैंडीडेट स्थायी कमीशन व महिला व पुरुष दोनों शार्ट सर्विस कमीशन के लिए पात्र होते हैं। इसके अभ्यर्थी National Cadet Corps (NCC) एयर विंग में अथवा संबंधित Directorate General National Cadet Corps या NCC Air Squadron के जरिए ज्वाइन कर सकते हैं। इसके लिए उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से न्यूनतम 60% अंकों के साथ तीन वर्षीय स्नातक डिग्री या चार वर्ष का बीटेक या बीई पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण होना चाहिए।
SSB साक्षात्कार:- NDA,CDS, और AFCAT की लिखित परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थियों को सेवा चयन बोर्ड (SSB) के साक्षात्कार से गुजरना होगा जिसके अंतर्गत अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का कठोर समेकित मूल्यांकन होता है।
चिकित्सिकीय परीक्षण:- एसएसबी साक्षात्कार में में सफल परीक्षार्थियों का भारतीय वायुसेना द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार सम्पूर्ण चिकित्सिकीय परीक्षण किया जाता है। एसएसबी साक्षात्कार में में सफल परीक्षार्थियों का भारतीय वायुसेना द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार सम्पूर्ण चिकित्सिकीय परीक्षण किया जाता है।
PABT टेस्ट: – भारतीय वायुसेना की चयन प्रक्रिया में सबसे अंतिम परीक्षण Pilot Aptitude Battery Test (PABT) होता है। इस परीक्षण के जरिए उम्मीदवारों की योग्यता का पूरा आकलन व युद्ध के लिए क्षमता परीक्षण का निर्धारण होता है।
Advance Training:- उपरोक्त कठोर परीक्षणों को सफलता पूर्वक पार करने के बाद चयनित उम्मीदवार लड़ाकू पायलट के रूप में एडवांस ट्रेनिंग के लिए भेजे जाते हैं और उन्हें हवाई युद्ध के हर तरह के कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है। ये चुनिंदा व तराशे हुए पायलट अदम्य साहस व संकल्प के साथ देश की सुरक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं।
भारतीय वायुसेना में ऑफिसर रैंक पर भर्ती होने के बाद सैलरी:
Sr.No.
RANK
PAY SCALE
01
Flying Officer
Rs56,100 – Rs1,10,700
02
Flying Lieutenant
Rs61,300 – Rs1,20,900
03
Squadron Leader
Rs69,400 – Rs1,36,900
04
Wing Commander
Rs1,16,700 – Rs2,08,700
05
Group Captain
Rs1,30,600 – Rs2,15,900
06
Air Commodore
Rs1,39,600 – Rs2,17,600
07
Air Vice Marshal
Rs1,44,200 – Rs2,18,200
08
Air Marshal
Rs1,82,200 – Rs2,24,100
09
Air Marshal HAG Scale
Rs1,82,200
10
Air Marshal Apex Scale
Rs2,05,400
11
Air Chief Marshal
Rs2,50,000
Salary after joining officer rank in Indian Air Force
भारतीय वायुसेना में ऑफिसर रैंक पर भर्ती होने के बाद सैलरी और अलाउंस के अतिरिक्त 15500 रुपये मासिक मिलिट्री सर्विस पे भी मिलता है। यह फ्लाइंग ऑफिसर से एयर कोमोडोर रैंक तक के ऑफिसर्स को मिलता है.
अंतिम –
इस लेख में हेलीकॉप्टर पायलट कैसे बनें? सेना में हेलीकाप्टर पायलट कैसे बनें? इससे जुड़ी सारी जानकारी दी गई है जो हेलीकॉप्टर पायलट बनने के लिए जरूरी है। यदि इस लेख से संबंधित आपका कोई प्रश्न या सुझाव हो तो कृपया कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछें। धन्यवाद।
हर युवा का सपना होता है कि उसका करियर शानदार हो , इसके लिए वह बहुत कम उम्र से ही मेहनत करना शुरू कर देता है। अपनी स्कूलिंग के दौरान ही कुछ बच्चे अपने करियर का फॉर्मेट बना लेते हैं और उसी अनुसार तैयारी भी करने लगते हैं। कोई इंजीनियर , कोई डाक्टर, कोई ब्यूरोक्रेट, कोई बिजनेस एक्जीक्यूटिव तथा कुछ आर्म फोर्स में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। इन्हीं में से कुछ युवाओं का सपना होता है कि वो भविष्य में पायलट बनें, तो आज हम जानेंगे की 12th ke bad pilot kaise bane.
आज के आलेख में हम आपको बताएंगे कि पायलट बनने के सफर में क्या क्या करना होगा, मसलन बारहवीं के बाद पायलट कैसे बनें, पायलट बनने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती है, भारतीय वायुसेना में कैसे बन सकते हैं पायलट, कैसे बन सकते हैं कामर्शियल पायलट,पायलट बनने में कितना समय लगता है, पायलट बनने कुल कितना खर्च आता है तथा पायलट की कितनी होती है सैलरी। यदि आप भी पायलट बनने की योजना बना रहे हैं तो हमारे आलेख को अंत तक पढ़ना आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होने वाला है।
यदि आप भारतीय वायुसेना में पायलट बनने की चाह रखते हैं तो उसके लिए आपको 12th करने के बाद एनडीए (NDA) परीक्षा, एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT), NCC स्पेशल एंट्री स्किम परीक्षा को Clear करना होगा। यदि आपने उपरोक्त में से कोइ परीक्षा उत्तीर्ण कर ली तो भारतीय वायुसेना के द्वारा आपको विधिवत् ट्रेनिंग दी जाएगी। आप भारतीय वायुसेना की Combined Defense Services Exam (CDS) में भी appear हो सकते हैं। इस परीक्षा के लिए परीक्षार्थी के पास 12वीं कक्षा में गणित, भौतिकी व रसायन विषय होने चाहिये। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस परीक्षा में बीटेक या बीई डिग्री वाले भी appear हो सकते हैं।
कैसे बन सकते हैं कामर्शियल पायलट?
कैसे बन सकते हैं कामर्शियल पायलट? इस प्रश्न का उत्तर ये है कि 12वीं पास करने के बाद किसी मान्यता प्राप्त Aviation संस्थान से बाकायदा प्रशिक्षण लेकर आप कामर्शियल पायलट बन सकते हैं। अमूमन कामर्शियल पायलट बनने की प्रशिक्षण अवधि 18 से 24 माह की होती है। इस प्रशिक्षण के बाद आपको कामर्शियल पायलट के लिए Fitness test व लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी। इसमें सफल होने के बाद आप कामर्शियल पायलट बनने के लिए पात्र माने जाएंगे। अतः इसके बाद आप किसी भी सरकारी या private संस्थान में पायलट के पद पर नियुक्ति पा सकते हैं।
यदि हम ये जानना चाहें कि पायलट बनने में कितना समय लगता है तो इस संबंध में सबसे पहली बात ये कही जा सकती है कि ये आपके द्वारा चुने गए प्रशिक्षण के प्रकार पर निर्भर करेगा। अमूमन प्राइवेट पायलट बनने में 6 से 12 महीने का समय लग जाता है वहीं कामर्शियल पायलट बनने में 18 से 24 महीने का समय लगता है। भारतीय वायुसेना में पायलट बनने के लिए भी देढ़ से दो वर्ष का समय लग जाता है जिसके अंतर्गत Officer Training School (OTS), Undergraduate Pilot Training (UPT) तथा विशेष प्रकार के विमानों पर एडवांस ट्रेनिंग शामिल है।
पायलट बनने में कुल कितना खर्च आता है?
अब प्रश्न उठता है कि पायलट बनने में कुल कितना खर्च आता है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में पायलट बनने के लिए अमूमन 15 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इस खर्च में प्रशिक्षण, परीक्षा, लाइसेंस तथा मेडिकल फीस का चार्ज भी शामिल है।
पायलट की कितनी होती है सैलरी?
यदि हम जानना चाहें कि पायलट की कितनी होती है सैलरी तो कहा जा सकता है कि ये अनुभव, संबंधित देश के नियमों तथा उड़ान के प्रकार पर निर्भर करता है। अमूमन एक पायलट की एक महीने की सैलरी 1 लाख से 3 लाख रुपए के बीच होती है।
अंतिम-
इस आर्टिकल में 12th ke bad pilot kaise bane से जुड़ी सारी जानकारी दी गई है। यदि आपका कोई व्यक्तिगत सुझाव हो तो कृपया कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछें धन्यवाद।
जब हम नौकरी की बात करते हैं तो हमारे ज़ेहन में सरकारी व प्राइवेट नौकरी का कांसेप्ट रहता है। लेकिन नौकरी का एक कांसेप्ट और भी है जिसे Semi Government Job कहते हैं। अमूमन इसका तात्पर्य ये होता है कि जो निजी संस्था सरकार द्वारा संचालित होती है , ऐसी सेवाओं या संस्थानों में काम करना Semi Government Job कहलाता है। आज के आलेख में हम आपको क्रमवार बताएंगे कि सेमी गवर्नमेंट का क्या मतलब होता है, अर्ध सरकारी नौकरी क्या है, अर्ध-सरकारी नौकरी के क्या लाभ हैं, अर्ध-सरकारी कंपनियों की विशेषताएं तथा भारत में अर्ध-सरकारी कौन सी कंपनियां हैं।
यदि हम बात करें कि सेमी गवर्नमेंट का मतलब क्या होता है तो इसका एक सामान्य अर्थ ये होता है कि ऐसी संस्थाएं या सेवा वर्ग जिनकी सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों में सामान रुप से हिस्सेदारी है, सेमी गवर्नमेंट के अंतर्गत मानी जाती हैं। इस तरह के क्षेत्रों में सरकार अपनी नौकरशाही को निजी संस्थानों में संचालन के रूप में नियुक्त करती है। अतः अधिकतर अर्ध-सरकारी निकायों में 51% हिस्सेदारी सरकार की होती है। अर्ध-सरकारी क्षेत्रों में सरकारी सहभागिता और संचालन से उस संस्थान की विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
अर्ध-सरकारी नौकरी क्या है?
अब प्रश्न उठता है कि अर्ध-सरकारी नौकरी क्या है तो ऊपर के विश्लेषण में ये स्पष्ट गया है कि सरकारी नौकरशाही के तत्वों को निजी संस्थानों में जोड़कर एक संयुक्त संस्थान के रूप में कार्य करना अर्ध-सरकारी क्षेत्र कहलाता है। अतः ऐसे संस्थान जिनमें सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की भागीदारी हो, अर्ध-सरकारी सेवाओं के अंतर्गत आते हैं। इस तरह के संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी अर्ध- सरकारी नौकरी वाले कहलाते हैं।
Semi Government Job के क्या लाभ हैं?
जहां तक अर्ध-सरकारी नौकरी के लाभ की बात करें तो सरकारी व निजी दोनों तरह की भागीदारी होने से सरकारी संचालन व सुरक्षा तथा निजी प्रबंधन की स्वतंत्रता होती है। इसे एक अर्ध-सरकारी स्कूल के उदाहरण से समझा जा सकता है। ऐसे स्कूलों में मैनेजमेंट अमूमन निजी स्वामित्व के अंतर्गत होता है जिसका प्रबंधन स्कूल के टीचर्स तथा प्रशासक देखते हैं। लेकिन प्रबंधन को सरकारी नियमों का पालन करना होता है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा निर्देशित पाठ्यक्रम व परीक्षा प्रणाली शामिल हैं। पर वहीं यदि स्कूल पर किसी तरह का आर्थिक संकट या अन्य कोई समस्या आती है तो सरकार उस स्कूल को आर्थिक मदद के साथ ही अन्य तरह की सहायता कर सुरक्षा प्रदान करती है।
India में Semi Government कंपनियां सरकारी व निजी दोनों ही स्वामित्व के तहत समान रूप से काम करती हैं जिन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में जाना जाता है। निजी स्वामित्व के बावजूद सरकार निदेशक मंडल में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करके कंपनी की गतिविधियों पर नियंत्रण रखती है। अमूमन सार्वजनिक कंपनियां सार्वजनिक हित वाले क्षेत्रों के लिए काम करती हैं जैसे परिवहन, ऊर्जा, बुनियादी ढांचा तथा वित्त आदि। अर्ध-सरकारी कंपनियां सरकारी नीतियों व दिशा-निर्देशों के अंतर्गत काम करती हैं जिनका उद्देश्य समाजिक कल्याण, आर्थिक विकास व राष्ट्रीय सुरक्षा को लक्ष्य बनाकर काम करना है। इस तरह की कंपनियों को सरकार समय समय पर सब्सिडी के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करती रहती है।
भारत में Semi Government कौन सी कंपनियां हैं?
भारत में मुख्य रूप से Semi Government कंपनियों में भारतीय रेलवे, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC), भारतीय जीवन बीमा निगम ((LIC), भारतीय स्टेट बैंक (SBI), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) तथा राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) आदि हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में इन कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका व योगदान है तथा ये सामाजिक हित के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु निरंतर अग्रसर हैं।