Freelancing kya hota hai? Freelancer का सामान्य अर्थ ही होता है स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करने वाला। इसमें इस तरह के प्रोफेशनल होते हैं जो किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थान, व्यक्ति या व्यक्तियों के लिए एक अनुबंध के तहत काम करते हैं। इस अनुबंध को आप कॉन्ट्रैक्ट, समझौता या डील कह सकते हैं। दूसरे शब्दों में फ्रीलांसर एक तरह का ठेकेदार होता है जो क्लाइंट के साथ तय हुई डील के बाद अपने काम को अंजाम देता है। फ्रीलांसर का कार्य क्षेत्र अमूमन हर जगह होता है जैसे भवन निर्माण, सड़क निर्माण, रेलवे, तकनीकी व मशीनरी काम। इसके अलावा ऑनलाइन भी बहुत से काम फ्रीलांसर सफलतापूर्वक करते हैं।
विस्तार
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम कोई भी कार्य करें, जब तक उद्यमी और क्लाइंट के बीच एक निश्चित अनुबंध सुनिश्चित नहीं होता तब तक दोनों पक्षों के बीच परिणाम व भुगतान को लेकर संशय की स्थिति बनी रहती है। अतः यह देखा गया है कि हर फ्रीलांसर एक अनुबंध के बाद ही अपना काम शुरू करता है और यह जरूरी भी है, न केवल उद्यमी के लिए बल्कि क्लाइंट भी अनुबंध के बाद कार्य की गुणवत्ता व परिणाम के प्रति निश्चिन्त हो जाता है।
छोटे से उदाहरण से इस बात को समझिए- मान लें किसी को अपना मकान बनवाना है और उसके पास स्वयं इतना समय नहीं है कि वह अपनी देखरेख में अपना मकान बनवा सके, ऐसे में वह एक ऐसे ठेकेदार की तलाश करेगा जिसकी समाजिक पहचान विश्वसनीय वह भरोसेमंद हो। अब वह उससे बात करके उसकी पूरी विवरणात्मक जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर, व्यवसाय पंजीकरण नंबर, ईमेल आदि प्राप्त करेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिल्कुल इसी प्रक्रिया का अनुपालन ठेकेदार भी अपने क्लाइंट के लिए करेगा, तभी अनुबंध पूरा माना जाएगा व काम के भुगतान वह परिणाम संबंधी डील भी इसी के अंतर्गत पूरी होगी। इस प्रकार दोनों पक्षों के हस्ताक्षर के बाद फ्रीलांसर अपना काम शुरू कर सकेगा। इस तरह के अनुबंध के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप किसी कानूनी पेशेवर की सलाह लें। ज्यादातर फ्रीलांसर अपना अनुबंध स्वयं तैयार करते हैं।
आज की आलेख में हम आपको आपकी सुविधा व मार्गदर्शन के लिए एक सामान्य आकलन के अनुसार फ्रीलांसर अनुबंध के कुछ मुख्य चरणों की जानकारी से अवगत कराएंगे।
प्राथमिक जानकारी का विवरण:
किसी भी कार्य योजना के लिए जब हम एक अनुबंध के तहत काम करते हैं तो ठेकेदार और नियोक्ता दोनों को ही एक स्वहस्ताक्षरित डील के तहत कुछ मूल बातों को जैसे पता, संपर्क नंबर, सर्विस रजिस्ट्रेशन नंबर, ईमेल तथा कार्यालय या संपर्क पता लिखित रूप से मेंशन करना चाहिए तथा समझौते पर तिथि सहित हस्ताक्षर होने चाहिए। यदि ऑनलाइन अनुबंध हो रहा है तो उपरोक्त औपचारिकता ईमेल के माध्यम से पूरी की जा सकती है।
अपनी कार्य योजना का खुलासा स्पष्ट रूप से करें:
आप जिस तरीके से काम करेंगे, उसका एक स्पष्ट फॉर्मेट निश्चित करें। मसलन उसमें कितना समय व संसाधन लगेगा, इसका विवरण दें साथ ही भविष्य में कुछ संशोधन की गुंजाइश के लिए भी स्पेस रखें। इसमें यह भी मेंशन करें कि एक सीमा तक ही संशोधन की गुंजाइश है क्योंकि यदि आपने संशोधन की परिसीमा नहीं निर्धारित की तो भविष्य में स्वयं आपके लिए कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं। इस प्रकार आप अपने संपूर्ण विवरण को एक सिंपल सूचीबद्ध तालिका या एक्सेल सीट के माध्यम से दिखा सकते हैं।
स्कोप-क्रिप की समस्या से अनभिज्ञ ना रहें:
किसी कार्य योजना में स्कोप-क्रिप एक आकस्मिक समस्या की तरह है इसलिए अपने अनुबंध में स्पष्ट करें कि परियोजना से बाहर का कोई भी नया निर्माण अतिरिक्त काम होगा और इसका अतिरिक्त भुगतान भी देना होगा। अतः इस बात की पहले से ही जानकारी आवश्यक है कि स्कोप-क्रिप आपकी कार्य योजना में एक अतिरिक्त मांग की तरह है और यदि आप इसे संभालने में सक्षम है तो इसका अतिरिक्त भुगतान लेने की शर्त भी अनुबंध मैं लिखित रूप से मेंशन करें।
अपनी कार्यशैली व जिम्मेदारियों के प्रति दृढ़ रवैया रखें:
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि नियोक्ता ठेकेदार को प्रतिक्रिया देने में लंबा समय लगा देते हैं। पर आप इसके लिए भी एक निश्चित समय सीमा तय कर दें। यदि नियोक्ता एक निश्चित सीमा से अधिक पूछताछ या संवाद चाहता है तो स्पष्ट करें कि उस पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा क्योंकि किसी भी प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की समय सीमा क्रॉस करना योजना के लिए अच्छी बात नहीं होती।
नकद, भुगतान व टैक्स पर रखें पूरी नजर:
अपने अनुबंध में आपको संबंधित परियोजना में कितना भुगतान किया जाएगा, इसके साथ ही ऐसे संसाधनों को रेखांकित कीजिए जिन पर शुल्क देय होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परियोजना शुरू करते समय ही एक निश्चित जमा राशि आपको अपने अनुबंध में ले लेना सुनिश्चित करना चाहिए।
फ्रीलांसर को अपने अनुबंध में किल फीस का भी उल्लेख रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी नियोक्ता द्वारा किसी कारणवश अनुबंध तोड़ने पर भरपाई के रूप में ठेकेदार को मुआवजा मिल सके।
किसी भी अनुबंध में पेमेंट मोड बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए पेपैल, चेक, बैंक ट्रांसफर आदि का जिक्र अवश्य करें। समय पर भुगतान न होने की स्थिति में विलंब शुल्क के प्रतिशत का भी जिक्र करें। भुगतान न होने की स्थिति में ऋण वसूली एजेंसी व वकीलों का विकल्प खुला रखने को भी लिखित रूप से निर्दिष्ट करें। साथ ही यदि आप वैट ले रहे हैं तो अनुबंध के एक अनुभाग में इसे भी स्पष्ट करें।
बौद्धिक संपदा व कॉपीराइट सुनिश्चित करें:
यद्यपि फ्रीलांसर पेटेंट व ट्रेडमार्क दोनों ही प्रदान करते हैं। इसमें क्लाइंट को अनुबंध पूरा होने पर कॉपीराइट हस्तांतरित करना होता है। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि आपके पास आपके काम का लाइसेंस होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि आपने अनुबंध में जो दावे किए हैं उसमें आप पूरी तरह सेफ है कि नहीं। साथ ही नियोक्ता ने जो सामग्री आपको उपलब्ध कराई है उसके अधिकार उसके पास होने चाहिए, इसका पूरा दायित्व क्लाइंट का ही होगा फ्रीलांसर का नहीं।
इस प्रकार फ्रीलांसर का यह दायित्व होता है कि वह अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा के साथ ही दूसरे की बौद्धिक संपदा का उल्लंघन न करें।
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क्षेत्राधिकार पर निर्णय से पूर्व प्रवर्तन लागत का ध्यान दें:
अमूमन अनुबंध प्रवर्तन के लिए अपने गृह देश या राज्य को निर्दिष्ट किया जाता है। पर कभी-कभी ऐसा होता है कि यदि फ्रीलांसर के रूप में आपका कोई निश्चित ठिकाना नहीं है या दूसरे शब्दों में यदि आप एक डिजिटल खानाबदोश हैं तो आप ऐसे देश व स्थान को अनुबंध लागू करने के लिए चुने जहां आपके रहने का कोई अधिकार नहीं है मसलन आप थाईलैंड के स्थान पर स्विट्जरलैंड या हांगकांग को चुन सकते हैं।
अपनी फ्रीलांसर स्थिति को हर जगह स्पष्ट व्यक्त करें:
एक फ्रीलांसर के लिए यह आवश्यक है कि अपने अनुबंध में स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि वह एक कर्मचारी ना होकर ठेकेदार है तथा किसी लालच में आकर कर्मचारी लाभ न लें क्योंकि ऐसा करना भविष्य में उसके वह नियोक्ता के लिए हानिकारक हो सकता है। यहां एक ध्यान देने वाली बात यह है कि डेनमार्क जैसे देश में यदि आप किसी एक ग्राहक के लिए लंबे समय से कम कर रहे हैं तो आपको वहां कर्मचारी ही माना जाएगा इसलिए इस तरह के कानून की जांच परख करने के बाद ही किसी अनुबंध पर काम करना चाहिए।
किसी भी फ्रीलांसर की सबसे बड़ी चूक एक ही क्लाइंट के लिए काम करना है। ऐसी स्थिति में क्लाइंट की आर्थिक स्थिति के उतार चढ़ाव का प्रभाव आपके व्यवसाय पर भी पड़ेगा। यदि क्लाइंट दिवालिया हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से आपका व्यवसाय भी ठप हो जाएगा इसलिए बेहतर होगा कि दो या तीन क्लाइंट के साथ कार्य योजना तैयार करके काम करें। हो सकता है कि आपके इस तरह के अनुबंध छोटे-छोटे हों पर एक ही बड़े अनुबंध से कई छोटे-छोटे अनुबंध हमेशा बेहतर साबित होते हैं।
Freelancing B2B अनुबंधों के तहत निम्न वैकल्पिक आधार भी करते हैं सुनिश्चित:
यदि फ्रीलांसर अपने कार्य की गारंटी देता है तो भी और यदि नहीं दे रहा है तो भी दोनों ही स्थितियों को अनुबंध में स्पष्ट करना चाहिए। अमूमन बहुत से क्लाइंट अनुबंध में आपसे गोपनीयता की गारंटी चाहेंगे और यही अपेक्षा आप भी क्लाइंट से कर सकते हैं। इसके अलावा इस तरह के व्यावसायिक अनुबंध में आईपी के निपटान अधिकारों जैसे कई जटिल मुद्दे हो सकते हैं। आप चाहे तो स्वयं या एक बेहतर वकील के माध्यम से इन अपेक्षाओं का निर्धारण कर सकते हैं।
Freelancing kya hota haii? कुल मिलाकर निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि एक फ्रीलांसर अनुबंध में कार्य योजना का मसौदा तैयार करते समय इन बारीकियों को भी ध्यान दिया जाता है कि कौन से तथ्यों को गोपनीय रखना है और किनका खुलासा किया जाना है। कहना ना होगा कि निरंतर कार्य का अनुभव ही हमें पारंगत बनता है और गलतियां हमें परिपक्व। बस ध्यान इस बात का रखना है कि फ्रीलांसर को अपने चारों तरफ के विकल्प खुले रखना चाहिए ताकि आगे का रास्ता अवरुद्ध न हो।